बाहर चमकती धूप और भीतर हांफ रहा अस्पताल
एक तरफ सावन की हरियाली अपने रंग बिखेरने को बेताब हैं. तो दूसरी तरफ सूरज के चमकीले तेवर, उसकी हरियाली को फीका करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा.
बेतिया. एक तरफ सावन की हरियाली अपने रंग बिखेरने को बेताब हैं. तो दूसरी तरफ सूरज के चमकीले तेवर, उसकी हरियाली को फीका करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा. स्थिति यह है कि लोग जरूरी कार्यों से ही घरों से बाहर निकल रहे हैं. और जो लोग बाहर निकल भी रहे हैं, वे पूरी सावधानी के साथ छाता, गमछा, स्टॉल, पानी की बोतल लेकर अपने साथ चल रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र या दूर दराज के लोग, जो अपने कामों से शहर में आ रहे हैं वे सब सुबह आने के बाद शाम में ही वापस जाना चाह रहे हैं. जिसके कारण दिन भर जीएमसीएच भवन, विभिन्न सरकारी दफ्तरों के परिसर, बैंकों में लोगों की भीड़ दिख रही हैं. – अस्पताल में मरीज से ज्यादा अटेंडेंट
कहने को तो जीएमसीएच जिले का सबसे बड़ा अस्पताल हैं. लेकिन इन दिनों यह अस्पताल ट्रेन की बोगियों की तरह नो रूम और सिनेमा हॉल की तरह हाउसफुल चल रहा हैं. अस्पताल के लगभग 520 की संख्या में बेड मरीजों से भरे पड़े हैं. इतना ही नहीं, इसके दोगुने या तीगुनी संख्या में उनके परिजन अस्पताल में है. अस्पताल के गार्ड जब उन परिजनों को वार्ड से बाहर करने की कोशिश करते हैं, तो उन सब का सवाल होता है कि कहां जाये ? लोग कहते हैं. बड़ा दूर से देखे आईल बानी. ऐतना घामा में केने जाईल जाओ. ओही से इहे बानी स. नतीजतन, गर्मी और लोगों की भीड़ के कारण वार्डों से बदबू आती हैं. लोग नाक पर रूमाल रखकर भी घूमते हैं. वार्ड के साथ-साथ अस्पताल के बरामदे, सीढ़ियों की जगहों पर भी लोग आराम फरमाते, कपड़ा सुखाते हुए दिख जाते हैं.जीएमसीएच में अगर लाइट हैं तो सब चंगा हैं. लेकिन जहां एक बार पावर कट हुआ और अगर कोई तकनीकी खराबी आ गई, तो फिर वह कब दुरुस्त होगी इसकी कोई गारंटी नहीं हैं. ऐसा कई बार हुआ है जब इस गर्मी के मौसम में जीएमसीएच में इलाज करा रहे मरीज और उनके परिजन रात भर बिजली गुल रहने के कारण हलकान रहे हैं. पिछले महीने जून में ऐसा भी समय आया था, जब इनवर्टर की लाइट में सिजेरियन ऑपरेशन और मोबाइल टॉर्च के सहारे इमरजेंसी और कैजुअल्टी में मरीज को चिकित्सक और नर्सिंग आफिसर्स देख रहे थे. इतना ही नहीं, पावरकट होने पर लिफ्ट बंद होने के कारण लोगों को अपने मरीजों के स्ट्रेचर को धक्का लगाकर पांचवीं मंजिल तक पहुंचाते हुए भी देखा गया हैं.
– परेशान दिखते हैं ड्यूटी करने वाले कर्मी
जीएमसीएच में मरीज, उनके परिजन तथा बाहरी लोगों की भीड़ के कारण राउंड में या ऑन कॉल आने वाले डॉक्टर्स, मरीज को दवाइयां या ड्रेसिंग सुविधा उपलब्ध कराने वाले नर्सिंग ऑफिसर, जीएनएम व एएनएम स्टूडेंट्स परेशान रहते हैं. भीड़ के कारण न सिर्फ उन्हें सूई दवाई करने में परेशानी होती हैं, बल्कि उनका ज्यादा समय भीड़ को हटाने और बेवजह के हल्ला हंगामा को शांत करने में बीत जाता हैं. – कोटअस्पताल में 1032 केवीए के चार जेनेरेटर हैंडओवर हो चुके हैं. जिसे जून माह के आखिरी सप्ताह से चलाया जा रहा हैं. इसके कारण अस्पताल में निर्वाध रुप से विद्युत आपूर्ति हो रही हैं. वैसे अस्पताल में विद्युत विभाग के द्वारा भी लगातार विद्युत आपूर्ति मुहैया कराई जा रही हैं.
मो. शाहनवाज, अस्पताल प्रबंधक
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