वन्यजीवों को पीने की पानी की नहीं होगी किल्लत,जगह -जगह कि गयी हैवाटर हॉल पानी की व्यवस्था

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल दो वाल्मीकि नगर वन क्षेत्रों में वास करने वाले शाकाहारी और मांसाहारी जीव जंतु समेत विभिन्न प्रजाति के पशु पक्षियों को मौसम में हो रहे बदलाव के उपरांत पड़ने वाली भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए वन क्षेत्र के अंदर अलग-अलग स्थानों पर वन प्रशासन के द्वारा वाटर हॉल पानी भरा गड्ढा का साफ सफाई करा दी गई है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 26, 2024 9:04 PM

वाल्मीकिनगर. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल दो वाल्मीकि नगर वन क्षेत्रों में वास करने वाले शाकाहारी और मांसाहारी जीव जंतु समेत विभिन्न प्रजाति के पशु पक्षियों को मौसम में हो रहे बदलाव के उपरांत पड़ने वाली भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए वन क्षेत्र के अंदर अलग-अलग स्थानों पर वन प्रशासन के द्वारा वाटर हॉल पानी भरा गड्ढा का साफ सफाई करा दी गई है. पूर्व में निर्मित वाटर हॉल का कि जा रही है साफ सफाई: साथ ही साथ पूर्व में निर्मित वाटर हॉल का साफ सफाई भी पूरी की जा रही है. बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का वाल्मीकि नगर वनक्षेत्र पड़ोसी देश नेपाल के पहाड़ों से सीमावर्ती होने के कारण माह मार्च से जुलाई -अगस्त तक भीषण गर्मी की मार को झेलता है. पहाड़ को स्पर्श करके बहने वाली हवा के प्रकोप से वाल्मीकि नगर क्षेत्र भी भीषण गर्मी की चपेट में आ जाता है .वैसे भी साल दर साल ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते प्रदूषण के स्तर के कारण तापमान में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है.इस बिंदु को ध्यान में रखते हुए वन प्रशासन द्वारा वन क्षेत्र में निवास करने वाले जीव जंतुओं को भीषण गर्मी में पानी की किल्लत की समस्याओं से ना जूझना पड़े. इसके लिए पहले से तैयारियां शुरू कर दी गई है. बोले वन क्षेत्र पदाधिकारी: इस बाबत पूछे जाने पर वाल्मीकि नगर वन क्षेत्र पदाधिकारी राजकुमार पासवान ने बताया कि वन क्षेत्र के अंदर मांसाहारी जंतु शाकाहारी जंतुओं पर निर्भर रहते हैं. जबकि शाकाहारी जंतु वन क्षेत्र के अंदर उगने वाली घास और झाड़ियों पर निर्भर रहते हैं. ग्रास लैंड का साफ सफाई के बाद उनमें हरियाली आनी शुरू हो गई है. शाकाहारी जीव जंतुओं को आहार की समस्या नहीं होगी किंतु गर्मी के मौसम में वन क्षेत्र के अंदर प्राकृतिक पानी का बहाव ना होने के कारण प्राकृतिक स्रोत सूखने लगते हैं. इसलिए वैकल्पिक तौर पर पानी की व्यवस्था की जाती है. वन्यजीवों को पानी की किल्लत से ना गुजरना पड़े : उन्होंने यह भी बताया कि वन क्षेत्र के अंदर ग्रास लैंड साफ सफाई जुताई कर दी गई है. मौसम परिवर्तन के साथ नए घास का उगना शुरू हो जाता है. जिस पर शाकाहारी जीव पूरी तरह निर्भर होते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version