हरनाटांड़ . नेपाल समेत पूरे बिहार में लगातार 48 घंटे से बारिश होने के कारण गंडक नदी समेत पहाड़ी नदियों के जलस्तर में उफान के बाद बगहा-वाल्मीकिनगर मुख्य सड़क पर भी पानी चढ़ गया है. जिससे आवागमन बाधित रहा. बगहा-वाल्मीकिनगर रोड के नौरंगिया के समीप हरदियाचाती पर करीब तीन फीट चल रहा है. पानी का रफ्तार इतना तेज था कि कई बाइक चालक जान जोखिम में डालकर पानी पार कर रहे थे. इसी दौरान पानी के रफ्तार में बह गए. लेकिन संयोग अच्छा था कि झाड़ी में जा बसे जो लोगों ने जा कर बचा लिया. यह घटना देख कर बहुत से छोटे बड़े वाहनों चालक घंटों तक रुके रहे और बहुत वाहन चालक वापस लौट गए. सड़क पर तीन फीट से अधिक पानी बहने के कारण दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गयी है. वहीं मदनपुर-वाल्मीकिनगर सड़क पर अलग-अलग जगहों पर पेड़ भी गिरा है. जिसके कारण यातायात प्रभावित हुआ है. बाढ़ के कारण दोन का आवागमन ठप हरनाटांड़ से महदेवा होते हुए दोन जाने की सड़क में बाढ़ के पानी के कारण आवागमन ठप रहा. दोन इलाके में मसान नदी के उफान के कारण कई गांवों में तेजी से बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा है. बारिश के बीच हरनाटांड़-बैरियाखुर्द मुख्य पथ के बीच से निकले दो-दो सिंचाई नाले के ऊपर से बहते हुए बाढ़ का पानी हरनाटांड़ की कई घरों व दुकानों में भी घुस गया. थरुहट क्षेत्र के कई गांवों से बगल से होकर गुजरने वाली पहाड़ी नदियां मनोर, झिकरी, भपसा, कोशिल आदि में जलस्तर बढ़ गया है. जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण पंचफेड़वा गांव के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया. निचले इलाकों के लोगों को अलर्ट रहने का दिया गया निर्देश अंचल बगहा दो के सीओ निखिल कुमार ने बताया कि नेपाल सहित भारतीय क्षेत्र में गुरुवार की रात से लगातार भारी बारिश के बाद गंडक समेत पहाड़ी नदी के जलस्तर में काफी वृद्धि हो रही है. जिसके कारण कई इलाकों में पानी फैल गया है. जिसके मद्देनजर निचले इलाकों के लोगों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है. निचले इलाके को लोगों को ऊंचे स्थानों पर विस्थापित होने का निर्देश दिया गया है. ताकि गंडक के जलस्तर में वृद्धि के बाद जान माल की क्षति को रोका जा सके. इधर गंडक बराज पर पानी के बढ़ते दबाव को देखते हुए गंडक के सभी फाटकों को खोल दिया गया है. गंडक में जलस्तर बढ़ने पर क्या होगा गंडक नदी का जलस्राव 31 जुलाई 2003 को 6.39 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया था. तब गंडक नदी ने भारी तबाही मचाई थी. निकले इलाके के कई गांव विस्थापित हो गए थे. वहीं पांच अक्तूबर 1968 को रिकॉर्ड पानी आया था. तब इसका जलस्राव 7.88 लाख क्यूसेक हो गया था. हालांकि तब गंडक बराज नहीं बना था. बता दें कि 28 सितंबर 2024 को कोशी बराज से छह लाख 81 हजार 639 क्यूसेक एवं वाल्मीकिनगर गंडक बराज से पानी छोड़े जाने की सूचना प्राप्त हुई है. बिहार के सीमावर्ती इलाकों वाले जिलों में भयंकर बाढ़ आने की संभावना जताई जा है. शनिवार की शाम चार बजे तक पांच लाख एक हजार 650 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. प्रशासन अलर्ट मोड में है. सरकार द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश दे दिया गया है.
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