त्रिमोहान घाट के आसपास देखने को मिले बाघ के पद चिन्ह, लौटी वन विभाग की टीम
लौरिया प्रखंड के बसंतपुर और सिंहपुर पंचायत के क्षेत्र में त्रिमोहान घाट के आसपास बाघ के पद चिन्ह देखने को मिला है, जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.
साठी. लौरिया प्रखंड के बसंतपुर और सिंहपुर पंचायत के क्षेत्र में त्रिमोहान घाट के आसपास बाघ के पद चिन्ह देखने को मिला है, जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. पिछले दिनों मैनाटांड़ प्रखंड के पुरैनिया गांव से सेट कौडेना नदी के तट पर गन्ने के खेत में नीलगाय को मारने के बाद बाघ ने अपना डेरा खेत में जमा लिया था. वहां से चलकर वह रिहायशी इलाकों में आ गया है. हालांकि दो रोज पहले वन विभाग की टीम सिंहपुर गांव पहुंची थी, ग्रामीण अमन मिश्रा और बसंतपुर के पंचायत समिति सदस्य नवल मिश्रा ने बताया कि बाघ आने की सूचना पर वन विभाग की टीम आई थी, लेकिन वापस चली गई. इस संदर्भ में डीएफओ प्रदुमन गौरव ने दूरभाष पर बताया कि हमको भी शुक्रवार को बाघ आने की सूचना मिली थी, लेकिन हमारी टीम गई और वापस चली आई. बाघ की नहीं सियार की आवाज थी. मांगुराहा में जंगल सकरा है, जिसके चलते बाघ निकलता रहता है. बाघ में टेरिटोरियल होते हैं. बड़े बाघ जब ज्यादा होते हैं तो छोटे बाघ जंगल से निकल जाते हैं. वह निकलकर बाहर आया होगा तो फिर जंगल में वापस लौट जाएगा. मैं खुद जहां-जहां पता चल रहा है, वहां जा रहा हूं, लोगों में कोई भय का माहौल नहीं है, लोग हमारी टीम को सपोर्ट कर रहे हैं. 15 सदस्यों की टीम हमारी दो पालियों में मॉनीटरिंग कर रही है. बाघ इंसान के प्रति हिंसक नहीं है. क्योंकि आज तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, इसमें घबराने की बात नहीं है. चौबीस घंटे हमारी टीम लगी हुई है. ड्रोन कैमरा से भी निगरानी हो रही है. बाग बहुत जल्द वापस जंगल में लौट जाएगा, भय मुक्त रहने की जरूरत है.
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