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वाल्मीकिनगर की खूबसूरत वादियों में लें पयर्टन का आनंद, करें वॉटर एडवेंचर और पक्षी अभ्यारण्य की सैर

भारत-नेपाल सीमा पर बसे वाल्मीकिनगर का पिछले कुछ सालों में पर्यटन के लिहाज काफी विकास हुआ है. यहां की हसीन वादियों और प्रकृति के सौंदर्य को देखने की हसरत अब 50 दिनों बाद यानी 15 अक्तूबर से पूरी होगी.

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की हसीन वादियों और प्रकृति के सौंदर्य को देखने की हसरत अब 50 दिनों बाद यानी 15 अक्तूबर से पूरी होगी. पर्यटक वीटीआर के संग-संग अमवा मन व उदयपुर पक्षी अभयारण्य का भी दीदार कर सकेंगे. इन जगहों के लिए भी टूर पैकेज बनाने की शुरुआत कर दी गयी है. इसक ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है. अमवा मन में जहां सैलानी वॉटर एडवेंचर का लुत्फ उठा सकेंगे, वहीं उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य की नेचर साइट का आनंद लेने का मौका भी मिलेगा. 15 अक्तूबर से नये पर्यटन सत्र के शुभारंभ को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है. सभी टूरिस्ट प्वाइंट पर काम कराये जा रहे हैं. खास बात यह है कि शिवालिक की पहाड़ियों, नारायणी जैसी विशाल नदी और 900 वर्ग किमी में फैले जंगल में सैर करना रोमांच से कम नहीं है.

देखने के लिए एक से बढ़ कर एक जगह

भारत-नेपाल सीमा पर बसे वाल्मीकिनगर का पिछले कुछ सालों में पर्यटन के लिहाज काफी विकास हुआ है. कैनोपी वॉक, गंडक बराज, नरदेवी मंदिर, जटाशंकर टेंपल, कौलेश्वर झूला, वाल्मीकिनगर आश्रम, मदनपुर देवी स्थान यहां के प्रमुख टूरिस्ट प्वाइंट हैं. यहां जगल सफारी और बोटिंग सफारी की भी व्यवस्था है. सैनालियों के रहने के लिए वातानुकूलित सूईट रूम के साथ-साथ अत्याधुनिक सुविधाओं वाले होटल, बंबू हट, इको हट, ट्री हट के साथ-साथ गेस्ट हाउस की भी सुविधा है. भोजन के लिए कैंटीन और तमाम तरह के रेस्टोरेंट भी खुल गये हैं. गंडक तट पर यहां बेहद ही खूबसूरत इको पार्क बनाया गया है. इसके साथ ललभितिया सनसेट प्वाइंट भी आकर्षण का केंद्र है. वीटीआर के अलावे गोवर्धना और मंगुराहा रेंज में भी पर्यटकों के ठहरने के बेहतर इंतजाम हैं. मंगुराहा के भिखनाठोरी में तमाम टूरिस्ट साइट हैं, यहां भी जंगल सफारी का इंतजाम है. यहां पहुंचने वाले पर्यटक पड़ोसी देश नेपाल के त्रिवेणी धाम और चितवन नेशनल पार्क की भी सैर कर सकते हैं.

अमवा मन करायेगा गोवा का एहसास

बेतिया-मोतिहारी मार्ग में बेतिया से करीब 22 किमी पहले अमवा मन में इस बार से वॉटर एडवेंचर की शुरूआत की जा रही है. यहां करीब 175 एकड़ में फैले झील में पारासेलिंग, फ्लोटिंग जेटी, जेटस्की स्कूटर समेत तमाम जल क्रीड़ा का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा. इसके साथ ही यहां इंगेजमेंट प्वाइंट, क्राउड मैनेजमेंट, प्रोमिनाड, वॉकवे, प्रिफैब गजीबो, चेंजिंग रूम, मेन गेट, सेल्फी प्वाइंट, थिमेटिक वॉल, किड्स स्पोर्ट्स, वीआइपी लॉउंज, पार्किंग, मॉड्यूलर शौचालय आदि की व्यवस्था भी की जा रही है. इसके वॉटर स्पोट्स के रूप में विकसित किया जा रहा है. 15 अक्तूबर से इसे भी पर्यटकों के लिए खोल दिया जायेगा. अमवा मन में वह सभी सुविधाएं दी जा रही हैं, जो गोवा में मौजूद हैं. करीब एक करोड़ की कीमत का पारासेल नाव गोवा से मंगवाया गया है. मुंबई से आया 10 सदस्यीय दल यहां सभी सुविधाओं का ट्रायल कर रहा है.

स्टार्टअप जोन व बेतियाराज को भी जानने का मौका

इस बार नये पर्यटन सत्र में पर्यटक बेतिया से करीब आठ किमी दूर बैरिया प्रखंड में बसे उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य की भी सैर कर सकेंगे. यहां का सरैया मन झील विदेशी पक्षियों के आकर्षक का केंद्र है. इसके साथ ही सैलानियों को बेतियाराज से जुड़े स्थलों को भी देखने का मौका मिलेगा. राज के शील महल, राजकचहरी, दुर्गाबाग, कालीधाम मंदिर के साथ साथ चनपटिया स्टार्ट अप जोन को भी टूर पैकेज में शामिल करने की तैयारी है.

कैसे पहुंचे?

पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय बेतिया से वाल्मीकिनगर करीब 108 किमी दूर है. पटना से इसकी दूरी 325 किमी है. नजदीकी रेलवे स्टेशन बगहा से यह करीब 40 किमी दूर है. यहां से बस सेवा सुलभ है. इसके अलावा वन विभाग की ओर से वाल्मीकिनगर, मंगुराहा, गोवर्धना आदि जगहों के लिए टूरिस्ट बसें भी पर्यटन सत्र में चलायी जाती हैं. पटना के मौर्या होटल से हर शुक्रवार को टूरिस्ट बस वाल्मीकिनगर आती है. 4500 रुपये में तीन दिन का सैर कराया जाता है. वहीं, बेतिया से एक दिन का सैर 1200 रुपये में कराया जाता है. इसके लिए टूरिस्ट बस का इंतजाम है.

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