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बिछड़ी पत्नी से मिला यूपी का शहाबुद्दीन, छलके खुशी के आंसू

शिकारपुर पुलिस इन दिनों मुस्कान योजना के तहत केवल लोगों का खोया हुआ मोबाइल लौटाकर ही उनके चेहरों पर खुशियां नहीं लौटा रही है, बल्कि बिछड़े हुए दो जोड़ों को भी एक दूसरे से मिलाकर उनके चेहरे पर खुशियां लौटा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 27, 2024 9:14 PM

नरकटियागंज. शिकारपुर पुलिस इन दिनों मुस्कान योजना के तहत केवल लोगों का खोया हुआ मोबाइल लौटाकर ही उनके चेहरों पर खुशियां नहीं लौटा रही है, बल्कि बिछड़े हुए दो जोड़ों को भी एक दूसरे से मिलाकर उनके चेहरे पर खुशियां लौटा रही है. इसका जीवंत उदाहरण सोमवार को शिकारपुर थाना में देखने को मिला, जब सात दिन पहले घर लौटने के क्रम में अपने पति से बिछड़ी यूपी की किरण अपने पति से लिपट गयी और दोनों पति पत्नी के आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे. थाना पहुंचे यूपी के अंबेडकरनगर जिला के सेमरा नसीरपुर गांव निवासी शहाबुद्दीन चौहान ने बताया कि वो पिछले सात दिनों से अपनी बिछड़ी पत्नी से मिलने को बेचैन था. न ठीक से खाया-पिया और ना ही ठीक से सोया. जब पता लगा कि उसकी पत्नी बिहार के शिकारपुर थाना में है तो उसकी बेचैनी और बढ़ गयी. वो सोचने लगा कि पता नहीं की. पुलिस उसकी मदद टीक से करेगी भी की नहीं. ऐसी कई गलत धारणाएं उसके मन में चल रहा थी. लेकिन यहां पहुंचने पर सब अलग दिखा. पत्नी को साथ और सकुशल देख शहाबुद्दीन बोला एसएचओ साहब बहुत अच्छे हैं. बड़ी मदद की और प्रीति मैडम ने भी. शुक्रिया शिकारपुर पुलिस. क्या है मामला: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिला के सेमरा नसीरपुर गांव निवासी शहाबुद्दीन चौहान की पत्नी किरण चौहान 25 वर्ष बीते 19 मई को गुजरात नासिक से अपने घर लौटने के क्रम में पति से बिछुड़कर नरकटियागंज पहुंच गई थी. फिर भटकते हुए शिकारपुर पुलिस को मिली थी. महिला के पति शहाबुद्दीन चौहान ने बताया कि वह अपनी पत्नी किरण चौहान (25) के साथ बीते एक मई को नासिक से अपने गांव यूपी के अंबेडकरनगर जिला थाने के सेमरा नसीरपुर गांव लौट रहे थे. इस क्रम में जब वे ट्रेन से बनारस पहुंचे. हसवर स्टेशन पर उतरकर पानी लेने गए तो उनकी ट्रेन छूट गई और उनकी पत्नी ट्रेन से आगे बढ़ गई. जैसे तैसे वह नरकटियागंज पहुंच गई. शिकारपुर थानाध्यक्ष अवनीश कुमार ने बताया कि भटकी महिला पुलिस को 19 मई को मिली थी. वह ठीक से अपना पता नहीं बता पा रही थी. महिला के बताए नाम और पता का सत्यापन कराया गया. परंतु उसका सत्यापन नहीं हो सका. पुलिस ने उसके नाम और पता का सत्यापन होने तक महिला को अल्पावास गृह बेतिया भेज दिया. हालांकि पुलिस आरंभिक जानकारी के अनुसार उसके गांव के प्रधान को भी यह सूचना दे दी थी. उसके चार-पांच दिन बाद महिला के परिजनों को यह जानकारी हुई. परिजन जगह-जगह उसकी तलाश कर रहे थे. इसी बीच महिला का पति और उनकी मां शिकारपुर पहुंचे. महिला को अल्पावास गृह से मंगाकर उसके पति और मां को सौंप दिया गया है.

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