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वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल में दिखा व्हाइट इयर नाइट हेरॉन

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों में दुर्लभ व आकर्षक पक्षियों का गढ़ है.

हरनाटांड़ (पचं). वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों में दुर्लभ व आकर्षक पक्षियों का गढ़ है. जानकार बताते हैं कि टाइगर रिजर्व के जंगलों में एक ऐसा पक्षी भी पाया जाता है, जो एशिया महादेश में चीन और वियतनाम के अलावा सिर्फ वीटीआर के जंगलों में है. नेचर एनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसाइटी के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि इस खास पक्षी व्हाइट इयर नाइट हेरॉन जो आमतौर वीटीआर में एक ”मायावी पक्षी” को देखा गया है. रात्रि बगुला के नाम से मशहूर यह पक्षी दिनभर सोता है. रात में शिकार करता है. रात्रि बगुला का वैज्ञानिक नाम ओरोनासा मैग्निफिका है. यह एक आर्डेडे परिवार (जलचर पक्षी) यानी बगुले की एक प्रजाति है.

वीटीआर में दिखा था दुर्लभ पक्षी

प्रोजेक्ट मैनेजर ने अभिषेक ने बताया कि व्हाइट ईयर नाइट हेरॉन एशिया महादेश में चीन और वियतनाम में पाया जाने वाला पक्षी है. इस पक्षी को इससे पहले नहीं देखा गया था. लिहाजा पहचान कराने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान के बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी भेजा गया. इसके बाद कन्फर्म किया गया कि यह दक्षिण चीन और वियतनाम में पाया जाने वाला व्हाइट ईयर नाइट हेरॉन है. इसे हमेशा नहीं देखा जा सकता है. यह पक्षी नदियों, नालों, जोहड़ों, झीलों व खेतों आदि पानी वाली जगहों के आसपास देखा जा सकता है. ये मीठे व खारे दोनों प्रकार की पानी वाली जगहों पर देखे जा सकते हैं. एक मांसाहारी पक्षी है. बगुला की तरह ही इसे मछली पसंद है. इसके अलावे जंगल में कीड़े-मकोड़े को भी अपना शिकार बनाता है.

रात्रि बगुला की स्थिति

इसको 2016 के नवंबर माह में पहली बार कैमरा ट्रैपिंग के जरिए वीटीआर के जंगल में देखा गया था, जो कि आश्चर्यजनक है. पूरे विश्व की बात करें तो 2001 तक विश्व के 20 स्थानों पर इस पक्षी को स्पॉट किया गया था. 2000 में लुप्त प्राय पक्षी की श्रेणी में सूचीबद्ध भी किया गया था. इसके बाद इसे 2011 में 30 से अधिक स्थानों पर देखा गया. वर्तमान में जनवरी 2025 में इसे वीटीआर में देखा गया.

कैसा दिखता है रात्रि बगुला

रात्रि बगुला की लंबाई 54-56 सेमी (21-22 इंच) होती है. नर पक्षी का रंग काला और भूरा होता है. गर्दन चेस्टनट (भूरा-लाल अखरोट जैसा रंग) और चोंच का रंग काला होता है. इसकी आंखें पीली-नारंगी रंग की होती है. सिर और गर्दन का पिछला भाग काला. गला सफेद और निचले हिस्से का रंग भूरा. आम तौर पर यह बगुला की तरह की दिखता है. इस पक्षी का प्रजनन वियतनाम और चीन दोनों में दर्ज किया गया है. मादा पक्षी एक बार में 3-5 अंडे देती है. चीन में मई महीने में अंडे सेते देखा गया है. 25 दिनों के बाद अंडे फूटने के पर पक्षी बाहर निकलते हैं. इसका घोंसला एक गोलाकार ट्रे जैसा होता है. एक अध्ययन में पाया गया है कि अंडे सेने के दो महीने से अधिक समय बाद पक्षी उड़ान भरता है.

वीटीआर में पाए जाते हैं 300 प्रजाति के पक्षी

वीटीआर में 300 प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं, जो सैलानियों को आकर्षित करते हैं. वीटीआर के जंगल में दिखने वाला मोर, बुलबुल, नीलकंठ, सारस, बगुला, गिद्ध, गौरैया, , हुदहुद, मंगल बगुला, राम तीतर, सामान्य जल मुर्गी, सामान्य तोता, सामान्य पपीहा, काली चील, कपासी चील, चित्तीदार फाख्ता, ढोर फाख्ता, धनेश, हरियल पतरिंगा, बड़ा बसन्था, कालपुठ, अंगारा, कठफोड़वा, सामान्य खकूसट, देसी मैना, पुहइया आदि शामिल है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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