एक-एक करके वीरान होते गये जिला परिषद के दर्जनभर औषधालय सह चिकित्सालय, इलाज भी ठप
अतीत में गुलजार रहने वाले देसी चिकित्सालयों में एक दशक से भी अधिक अवधि से वीरानगी छाई हुई है.
बेतिया . पश्चिम चंपारण जिले में जिला परिषद के अधीन संचालित सभी दर्जन भर देसी चिकित्सालय (औषधालय) या तो जर्जर, जमींदोज अथवा अतिक्रमण के शिकार होकर रह गए हैं या तो अतिक्रमणकारियों के गिद्ध दृष्टि में हैं. अतीत में गुलजार रहने वाले देसी चिकित्सालयों में एक दशक से भी अधिक अवधि से वीरानगी छाई हुई है. लेकिन हद तो यह कि प्रत्येक तीन माह पर होने वाली जिला परिषद की सामान्य बोर्ड की बैठकों में कभी भी किसी स्तर से जिला परिषद के औषधालय मुद्दा नहीं बन सके, ना किसी ने इनके संरक्षण, संवर्धन और संचालन की दिशा में कोई आवाज ही बुलंद किया. नतीजतन दो दशक में एक-एक करके चिकित्सक व चिकित्सा कर्मी रिटायर्ड होते गए और धीरे-धीरे जिला परिषद के सभी औषधालय बंद होते गए और यहां दवा वितरण समेत चिकित्सा की तमाम व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई. बता दें कि जिले के दर्जन भर औषधालयों में आठ आयुर्वेदिक, तीन होम्योपैथिक और एक यूनानी चिकित्सालय सह औषधालय हैं. इनमें कार्यरत एक-एक कर वैद्य, मिश्रक (कंपाउंडर), चतुर्थ वर्गीय कर्मी रिटायर्ड करते गए, लेकिन उनकी जगह किसी का पदस्थापन नहीं हुआ. वर्तमान में दर्जनभर चिकित्सालयों में महज एक वैद्य डॉ रामेश्वर मिश्रा ही पदस्थापित थे, वह बताते हैं कि विभाग के अधिसूचना के अनुसार जिप के चिकित्सकों को 67 वर्ष की आयु में अवकाश ग्रहण करना था, लेकिन उन्हें इसके पूर्व ही सेवानिवृत कर दिया गया है. वैसे सरकार ने अभी हाल ही में सैकड़ों आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सकों की नियुक्ति की है, लेकिन अभी तक किसी का भी पदस्थापन यहां नहीं हो सका है. दशकों से भी अधिक अवधि से इन देसी चिकित्सालयों में दवा तक की आपूर्ति नहीं की जा रही है. किसी चिकित्सालय का भवन ध्वस्त हो चुका है तो किसी का भूमि ही अतिक्रमण का शिकार है. इन अस्पतालों के संचालित नहीं होने से लोगों को देसी चिकित्सा से वंचित होना पड़ रहा है. ———————— करोड़ों रुपये खर्च कर मरम्मत हुए औषधालय उपयोग नहीं होने से हो गए बेकार जिला परिषदीय आयुर्वेदिक औषधालय मंगलपुर तथा जगदीशपुर नौतन प्रखंड, मेघवल मठिया रामनगर प्रखंड, धमोरा और बेलवा मोड लौरिया प्रखंड और होम्योपैथिक औषधालय मच्छरगांवां योगापट्टी प्रखंड के भवनों की मरम्मत में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए, वह भी उस समय, जब वहां ना कोई चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी कार्यरत था और ना चौकीदार, बल्कि सभी के सभी रिटायर्ड हो चुके थे. हद तो यह कि आज भी यह तमाम औषधालय भवन अनुपयोगी और बेकार साबित हो रहे हैं. —— जिला परिषद की लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, ग्रामीण स्वच्छता समिति की बैठक आगामी 8 फरवरी को होना तय है. इसमें असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे. इस बैठक में जिला परिषदीय आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी औषधालय सह चिकित्सालियों के बारे में संचालन संबंधी विचार विमर्श किया जाएगा. निर्भय कुमार महतो, अध्यक्ष जिला परिषद पश्चिम चंपारण, बेतिया
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