भागलपुर में शिक्षा का मंदिर बनाने के लिए उजड़ जाएगे 60 अनुसूचित जाति व जनजाति परिवार, जानें क्या है पूरा मामला
भागलपुर के कहलगांव अंचल स्थित ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मलकपुर व अंतीचक मौजा में जमीन चिह्नित की गयी है. कहलगांव के अंचल अधिकारी ने अपर समाहर्ता को जमीन की रिपोर्ट भेज डीएम को सौंपी है.
भागलपुर के कहलगांव अंचल स्थित ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मलकपुर व अंतीचक मौजा में जमीन चिह्नित की गयी है. कहलगांव के अंचल अधिकारी ने अपर समाहर्ता को जमीन की रिपोर्ट भेज डीएम को सौंपी है. डीएम स्थल निरीक्षण करेंगे और फिर मंतव्य के साथ जमीन की पूरी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को भेज दी जायेगी.
केंद्रीय स्थल चयन समिति द्वारा विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कहलगांव अंचल का निरीक्षण किया था. इस दौरान तीन भूखंडों परशुरामचक व एकडारा, नंदगोला व अंतीचक और किशनदासपुर व गोघट्टा का प्रस्ताव उपलब्ध कराते हुए परशुरामचक व एकडारा को सर्वाधिक उपयुक्त पाते हुए अनुशंसित किया गया था. लेकिन केंद्रीय स्थल चयन समिति से इस पर सहमति नहीं बन पायी और फिर मलकपुर व अंतीचक मौजा स्थित 215 एकड़ भू-खंड को चिह्नित किया गया है. इस चिह्नित भूखंड का डीएम ने निरीक्षण किया था और अब मंतव्य सहित रिपोर्ट शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराया जाना है.
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नवचिह्नित भूखंड के संबंध में कहलगांव के सीओ ने जमीन का विस्तृत ब्योरा भेजा है. इस भूखंड के अंतर्गत लगभग 50-60 अनुसूचित जाति व जनजाति के परिवारों की बस्ती है. इनके विस्थापन की समस्या उत्पन्न हो सकती है. साथ ही, प्रस्तावित स्थल में लगभग 3500 पेड़ हैं और बौद्ध धर्म की धार्मिक संरचना स्थित है. समझा जा रहा है कि अगर वृक्षों और बस्ती के विस्थापन की बात छोड़ भी दी जाए तो बौद्ध धर्म के धार्मिक संरचना तोड़ने का भारी विरोध हो सकता है. ऐसे में समझा जा रहा है कि निर्माण स्थल को लेकर फिर से कोई फैसला सामना आ सकता है. हालांकि मामले में अभी सीओ ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है.