शिक्षा का अधिकार एक्ट (आरटीइ) 2009 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए पहली कक्षा में 25% स्थान आरक्षित करने का नियम है. देश में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए राइट टू एजुकेशन एक्ट छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त शिक्षा की गारंटी देता है. इसके तहत जिले के 55 निजी स्कूलों ने भी आरटीइ के तहत बच्चों के नामांकन लेने की जानकारी दी है. इन स्कूलों को राशि के भुगतान के लिए शिक्षा विभाग ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का फंड जारी किया है. कुछ स्कूलों ने फंड के लिए आवेदन जमा किया है. लेकिन अधिकांश निजी स्कूल प्रबंधन जिला शिक्षा कार्यालय में आवेदन जमा नहीं कर रहे हैं.
मामले पर डीपीओ स्थापना देवनारायण पंडित ने बताया कि तय समय पर आवेदन जमा नहीं हुए तो 31 मार्च के बाद राशि लौट जायेगी. वहीं आरटीइ के तहत बच्चों का नामांकन लेने वाले स्कूलों को राशि नहीं मिलेगी. बाद में वह दावा भी नहीं कर पायेंगे. इस एक्ट का उद्देश्य छह से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना है. वहीं 25% कोटा का पालन न करने वाले निजी स्कूलों पर दंड का भी प्रावधान है.
आरटीइ की धारा छह के तहत बच्चों को पड़ोस के किसी भी स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार है. यह एक्ट सुनिश्चित करता है कि कमजोर वर्ग के बच्चे और वंचित समूह के बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जा सके. यदि कोई बच्चा ऐसा है, जो छह वर्ष की आयु पर किसी विद्यालय में प्रवेश नहीं ले सका है तो वह बाद में अपनी उम्र के अनुसार कक्षा में प्रवेश ले सकता है. यदि किसी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरा करने का प्रावधान नहीं है, तो छात्र को किसी दूसरे स्कूल में स्थानांतरण का अधिकार प्रदान होगा. निजी और विशेष श्रेणी वाले विद्यालय को भी आर्थिक रूप से निर्बल समुदाय के बच्चों के लिए पहली कक्षा में 25% स्थान आरक्षित करने होंगे. स्कूल में प्रवेश तिथि के बाद भी किसी बच्चों को प्रवेश देने से इनकार नहीं किया जा सकता., ना ही स्कूल से निष्कासित किया जायेगा. बच्चों को किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक यातनाएं विद्यालय में नहीं दी जायेगी.