भागलपुर एमपी-एमएल कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेक कुमार सिंह की अदालत ने बुधवार को कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा समेत सात लोगों को निर्वाचन कार्य में बाधा डालने और सेक्टर पदाधिकारी और पुलिस टीम की समर्थकों के साथ घेराबंदी करने मामले में दोषी पाते हुए एक साल की सजा सुनायी. जिनको सजा सुनायी गयी है उनमें अजीत शर्मा के अलावा मो रियाजउल्ला अंसारी, मो शफकतउल्ला, मो नियाजउल्ला उर्फ आजाद, मो मंजरउद्दीन उर्फ चुन्ना, मो नियाजउद्दीन और मो इरफान खान उर्फ सिंटू शामिल हैं. विशेष न्यायाधीश ने भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 341 में 15 दिनों की साधारण कारावास और 250 रुपये जुर्माना लगाया है.
सजा में डिफाल्ट होने पर पांच सौ रुपये का जुर्माना
कोर्ट के अनुसार सजा में डिफाल्ट होने पर पांच सौ रुपये का जुर्माना देना होगा. सरकार की तरफ से अनुमंडल अभियोजन पदाधिकारी प्रभात कुमार ने बहस में भाग लिया. हालांकि सजा सुनाये जाने के बाद विधायक को बांड भरा जमानत पर मुक्त कर दिया गया. भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 353 में विधायक अजीत शर्मा समेत सात अभियुक्तों को एक साल की साधारण कारावास और एक हजार रुपये का जुर्माना देने को कहा गया है. उक्त सजा में डिफाल्ट होने पर विधायक समेत अन्य अभियुक्तों को तीन हजार रुपये का जुर्माना देना होगा. सभी अभियुक्त को न्यायालय में सजा के बाद बांड भरा कर मुक्त कर दिया गया.
क्या है मामला
तीन नवंबर 2020 को विधानसभा चुनाव के दौरान भीखनपुर के समीप चलंत मतदान केंद्र के दंडाधिकारी, पुलिस पार्टी को नगर विधायक और तब प्रत्याशी रहे अजीत शर्मा लाव-लश्कर के साथ शाम साढ़े चार बजे घेराबंदी कर ली थी. तब शर्मा ने चलंत मतदान केंद्र के साथ चल रहे दंडाधिकारी बाल्मीकि कुमार से पूछा था कि उनकी गाड़ी में इवीएम कैसे रखी हुई है. दंडाधिकारी ने तब समझाने का प्रयास किया था कि वह चलंत मतदान केंद्र आकस्मिक सेवा के लिए इवीएम रखा जाता है, हम सेक्टर पार्टी हैं. जरूरत पड़ने पर उसे मतदान केंद्र पर मुहैया कराया जाता है. लेकिन वहां सभी हंगामा करने लगे.