Bhagalpur: ड्रेजर जहाज से भैंस कटने के मामले में वन विभाग ने दिखाई सख्ती, मुकदमा होगा दर्ज
Bhagalpur news: वन विभाग की अनुमति के बिना विसर्जन घाट पर प्राधिकरण का जहाज ड्रेजिंग का काम कर रहा था. इस काम के चपेट में आने से दो युवक शनिवार को लापता हो गये, तो दर्जनों भैंस कट कर गंगा में बह गयी. अब इस मामले में विभाग केस दर्ज कराएगी.
भागलपुर: भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के जहाज पर अब वन विभाग सीधे मुकदमा दर्ज करने जा रहा है. वन विभाग की अनुमति के बिना विसर्जन घाट पर प्राधिकरण का जहाज ड्रेजिंग का काम कर रहा था. इस काम के चपेट में आने से दो युवक शनिवार को लापता हो गये, तो दर्जनों भैंस कट कर गंगा में बह गयी. आश्चर्य है कि गंगा में छह से ज्यादा जहाज तैर रहा है, लेकिन वन विभाग को जानकारी नहीं है. पुलिस के सामने भी गंगा में ड्रेजिंग का काम हो रहा है, लेकिन इसकी पूरी जानकारी किसी ने नहीं ली.
‘गंगा नदी में कार्य से पहले वन विभाग की अनुमति जरूरी’
वन विभाग के रेंजन ब्रज किशोर सिंह ने बताया कि गंगा नदी में किसी तरह का काम करने से पहले वन विभाग से अनुमति जरूरी है. हमारे विभाग के किसी अधिकारी ने ड्रेजिंग की अनुमति किसी को नहीं दी है. ऐसे में इस मामले की जांच सोमवार को वन विभाग की टीम घटना स्थल पर जाकर करेगी. पूरी जानकारी लेने के बाद सख्त एक्शन व दोषी के खिलाफ मामला दर्ज कराया जायेगा. ड्रेजिंग से जलीय जीव को खतरा होता है. जिस जगह यह काम हो रहा है वह डॉल्फिन अभ्यारण्य है. ऐसे में इस तरह के कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
2016 में भी वन विभाग ने रोका था काम
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने इससे पहले साल 2016 में बरारी विक्रमशिला पुल घाट में ड्रेजिंग करने का प्रयास किया था. वन विभाग की अनुमति के बिना ड्रेजिंग काम आरंभ कर दिया गया था. तत्काल इसकी सूचना लोगों ने वन विभाग को दे दी. विभाग हरकत में आया और वन विभाग के तत्कालीन अधिकारी ने एक टीम को वहां भेजा और काम को रोक दिया गया था. गंगा के इस क्षेत्र में किसी तरह की ड्रेजिंग पर रोग लगा दी गयी थी. इसके बाद से यहां इस तरह का कार्य नहीं हुआ था. 2016 के बाद शनिवार को ड्रेजिंग का काम आरंभ किया गया, तो घटना घटी. कुछ माह पूर्व वन विभाग की बिना अनुमति के बरारी पुल घाट में स्मार्ट सिटी योजना से रिवर फंट का निर्माण हो रहा था. इस काम को भी वन विभाग ने जलीय जीव के संरक्षण को देखते हुए तत्काल रोक लगा दी थी.
1991 को डॉल्फिन अभ्यारण्य हुआ था घोषित
भागलपुर में एशिया का इकलौता डॉल्फिन अभ्यारण्य जो साठ किलोमीटर क्षेत्र का है. गंगा नदी के इस क्षेत्र को सात अगस्त 1991 को डॉल्फिन अभ्यारण्य घोषित किया गया था. जिस घाट पर शनिवार को घटना घटी है वहां अक्सर गंगा में डॉल्फिन अटखेली करती नजर आती है, जिसे देखने लोग यहां आते हैं.