ललित किशोर मिश्र, भागलपुर
भारत में पाये जानेवाले सात प्रजाति के गरुड़ के तस्वीर और नाम डाक टिकट भी दिखेंगे. इसे जारी करने को लेकर भागलपुर वन प्रमंडल ने तैयारी शुरू कर दी है. तैयारी पूरी होने के बाद वन विभाग इसे डाक विभाग को भेजेगा. फिर डाक टिकट प्रकाशन की प्रक्रिया डाक विभाग शुरू करेगा. वन प्रमंडल पदाधिकारी के स्तर पर इसकी तैयारी की जा रही है. सब कुछ ठीक रहा, तो निकट भविष्य में गरुड़ की सातों प्रजाति की तस्वीर डाक टिकट पर देख पायेंगे.
खास बात यह है कि गरुड़ की सातों प्रजातियों को भागलपुर के नमी क्षेत्र में विचरण करते देखा जा सकता है. इनमें कई प्रजाति के गरुड़ नवगछिया के कदवा दियारा स्थित पेड़ों पर बनाये घोंसले में स्थायी रूप से निवास करते हैं.
कोसी के कदवा दियारा और खैरपुर पंचायत के कासीमपुर, लखमिनिया, आश्रम टोला, गोला टोला, खैरपुर मध्य विद्यालय, गुरुस्थान, ठाकुरजी कचहरी टोला, बगरी टोला, प्रतापनगर, खलीफा टोला, बिंद टोली, पंचगछिया आदि.
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डाक टिकट जारी होने के बाद पूरे देश में भागलपुर में पायी जानेवाली गरुड़ की सात प्रजाति के नाम व फोटो वाला टिकट मिलने लगेगा. डाक विभाग के स्पीड पोस्ट, लिफाफा सहित किसी भी रजिस्ट्री वाले कागज के ऊपर यह टिकट दिखेगा.
पूरे देश में आठ प्रजाति के गरुड़ पाये जाते हैं. इनमें सात प्रजाति के गरुड़ भागलपुर जिले में पाये जाते हैं. इन प्रजातियों के गरुड़ की फोटो व नाम का एक साथ डीएफओ स्तर से विभाग में तैयारी शुरू कर दी गयी है.
-डॉ संजीत कुमार, पशु चिकित्सक, भागलपुर वन प्रमंडल
विश्व में सिर्फ तीन ही स्थानों पर बड़े गरुड़ रहते हैं. कंबोडिया, असम और भागलपुर. वर्ष 2013 में एक आकलन के अनुसार 1300 गरुड़ थे. इनमें कंबोडिया में 100 से 150, असम में 500 से 550 और शेष भागलपुर में थे. वर्तमान में इनकी विश्व में आबादी 1600 है. इनमें आधे से अधिक गरुड़ भागलपुर में रह रहे हैं.
कदवा दियारा में गरुड़ों की शरण-प्रजनन स्थली को देखने देश-विदेश से सैलानी आते रहे हैं. यहां बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, मुंबई के पूर्व निदेशक डॉ एआर रहमानी वर्ष 2010 में आये थे. रॉयल सोसाइटी फॉर दी प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स, इंग्लैंड के इयान बार्वर वर्ष 2013 में आये थे. पॉल डोनाल्ड जैसे मशहूर पक्षी वैज्ञानिक यहां 2014 में आये थे.
Posted By: Thakur Shaktilochan