भागलपुर: अगर कोई इंसान कुछ करने को ठान लें तो वो सबकुछ कर लेगा, जो पहले नामुमकिन सा लगता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गार्ड का नौकरी करने वाला कमल किशोर मंडल ने. जिस कॉलेज में वो गार्ड की नौकरी किया करता थे आज वो वही सहायक प्रोफेसर के लिए नियुक्त हुए हैं लेकिन फिलहाल उन्हें योगदान देने से रोक दिया गया है.
मामला तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी गांधी विचार विभाग का है. यहां 2003 कमल किशोर मंडल की नियुक्ति नाइट गार्ड के रूप में हुई थी. मेहनती कमल का ये मंजिल नहीं था. उसने पढ़ाई जारी रखी. इस दौरान वो दिन में पढ़ाई किया करता था. इस क्रम में कमल किशोर मंडल ने पीजी की पढ़ाई पूरा कर ली. साथ ही पीएचडी भी कर ली. इसके बाद भी वो अपने सपने को साकार करने में जुटा रहे. 2018 में नेट क्वालीफाई भी कर लिया. अब कमल को अपनी मंजिल सामने दिख रही थी. 2020 में उसने सहायक प्रोफेसर की परीक्षा दी और 2022 में वो उत्तीर्ण भी हो गए. इसके बाद आयोग ने कमल किशोर मंडल का चयन सहायक प्रोफेसर के लिए कर लिया.
कमल ने मेहनत से तो वो सबकुछ पा लिया जिसके लिए वो कई सालों से लगा हुआ था. लेकिन कमल की अभी परेशानियों का अंत नहीं हुआ था. जुलाई में उसकी काउंसलिंग हुई थी. उनके अलावा तीन अन्य अभ्यर्थी थे जिनकी जॉइनिंग हो गई है लेकिन इनके योगदान पर रोक पर लगा दी गई है. इसको लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं?
इस मामले को लेकर कुलपति जवाहरलाल ने कहा कि यदि विश्वविद्यालय ने कमल किशोर को पढ़ने की अनुमति दी है तो उन्हें योगदान का मौका अवश्य दिया जाएगा. इसके लिए जो उचित निर्णय होगा वह लिया जाएगा. किसी के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा. वहीं, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार गिरिजेश नंदन कुमार ने कहा कि जो सच्चाई होगी उस पर विश्वविद्यालय सही निर्णय लेगा. अगर कमल किशोर मंडल सुबह का क्लास करते होंगे और शाम में गार्ड का काम करते होंगे तो जरूर विश्वविद्यालय उनके प्रति अच्छी प्रतिक्रिया देगी.
बता दें कि कमल किशोर मंडल भागलपुर के मुंदीचक नया टोला के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम गोपाल मंडल है. वो चार बेटों में दूसरे पुत्र हैं. वहीं, उनके पिता चाय बेचने का काम करते हैं.