बिहार के भागलपुर शहर के चर्चित हत्याकांडों में से एक स्टेट बार काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष सह वरिष्ठ अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय व उनकी नौकरानी रेणु देवी हत्याकांड मामले में 3 साल 11 माह 20 दिन बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया. जिला व्यवहार न्यायालय के एडीजे 11 हम्भीर सिंह बघेल की अदालत में चल रही सुनवाई के दौरान गुरुवार को कांड के मुख्य अभियुक्त गोपाल भारती को दोषी करार दिया है. जबकि कांड में गिरफ्तार कर चार्जशीट किये गये दाे अभियुक्त राजकुमार सिंह व रवीश कुमार काे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.
मामले में सरकारी पक्ष की ओर से बहस में हिस्सा ले रहे एपीपी ओम प्रकाश तिवारी ने बताया कि गाेपाल भारती काे 23 फरवरी काे सजा सुनायी जाएगी. एडीजे 11 हम्भीर सिंह बघेल के काेर्ट ने उसे भादवि की धारा 302 और 380 में दोषी पाया. इस हत्याकांड के चौथे अभियुक्त गब्बर पासवान पर ट्रायल शुरू होना बाकी है. हत्या के बाद वह फरार हाे गया था और लगभग डेढ़ महीने पहले पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. स्टेट बार काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष कामेश्वर पांडेय और उनकी दाई की हत्या पांच मार्च 2020 काे उनके नवाब कॉलोनी स्थित आवास पर कर दी गई थी.
पूर्व से निर्धारित तिथि को लेकर जेल में बंद अभियुक्तों को लेकर पुलिस कोर्ट के स्टेशन हाजल लेकर पहले पहर में ही पहुंच चुकी थी. निर्धारित समय के अनुसार दोपहर करीब 3.30 बजे तीन अभियुक्त गोपाल भारती, राजकुमार सिंह और वरिश कुमार को कोर्ट में उपस्थित कराया गया. कोर्ट में उपस्थित कराये जाने के बाद कोर्ट ने दस्तावेजों की जांच करते हुए 3 मिनट के भीतर ही कांड के दो अभियुक्त राजकुमार सिंह और रवीश कुमार काे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. इसके चंद मिनट के भीतर ही गाेपाल भारती काे दोषी करार दे दिया. एपीपी ने बताया कि कोर्ट ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 23 फरवरी की तिथि का निर्धारण किया है.
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भागलपुर जिला व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सह बिहार स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष कामेश्वर पांडेय (80) और उनकी नौकरानी रेणु देवी (50) की 5 मार्च 2020 रात तिलकामांझी के नवाबबाग कॉलोनी स्थित आवास पर हत्या कर दी गयी थी. घटना की जानकारी लोगों को अगले दिन सुबह हुई, जब सुबह करीब दस बजे अधिवक्ता पांडेय का ड्राइवर पंकज कुमार उन्हें कोर्ट ले जाने उनके घर पहुंचा. ड्राइवर ने घर के फर्स्ट फ्लोर स्थित उनके कमरे में पांडे का शव देख सबसे पहले इसकी जानकारी पास में ही रहनेवाले उनके भतीजे अभिजीत पांडेय को दी.
अभिजीत उनके घर पहुंचे और पुलिस को इसकी जानकारी दी. घटना की सूचना मिलने के बाद तिलकामांझी पुलिस सहित डीआइजी, एसएसपी, सिटी एसपी, सिटी डीएसपी सहित सभी पुलिस अधिकारी ने घटनास्थल पर पहुंच कर जांच की. जांच चल ही रही थी कि अचानक एक व्यक्ति ने ग्राउंड फ्लोर पर लगे जेनरेटर के पानी के ड्रम में एक महिला का शव देख इसकी सूचना घर में मौजूद पुलिस अधिकारियों को दी. महिला की पहचान कामेश्वर पांडेय के घर 22 साल से रह रही नौकरानी बौंसी के कैरी गांव निवासी रेणु देवी के रूप में की गयी. डबल मर्डर की खबर आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी और देखते ही देखते अधिवक्ताओं समेत करीबियों, मोहल्ले के लोगों व रिश्तेदारों का हुजूम उमड़ पड़ा. उक्त मामले की जांच के दौरान पाया गया कि घर से नकदी, जेवरात सहित कामेश्वर पांडेय की चार चक्का गाड़ी भी गायब थी.
इधर घर के ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले रेंटर गोपाल भारती और उनका पूरा परिवार भी लापता था और उनके घर के मुख्य गेट पर ताला लटका हुआ था. तत्कालीन सिटी डीएसपी राजवंश सिंह को इस पर संदेह हुआ. उन्होंने वरीय अधिकारियों से अनुमति प्राप्त कर कमरे को खुलवाया. कमरे का दरवाजा तोड़ते ही कमरे के भीतर से खून के धब्बे, खून से लथपथ कपड़े सहित घर के बेसिन और बाथरूम खून से सना हुआ मिला.
रेंटर गोपाल भारती के फ्लैट से खून के धब्बे, खून से लथपथ कपड़े और खून से सना बेसिन और बाथरूम मिलने के बाद पुलिस आश्वस्त हो चुकी थी कि गोपाल भारती ने अपने साथियों के साथ मिल कर कामेश्वर पांडेय और उनकी नौकरानी की हत्या कर दी. जांच के क्रम में यह बात भी सामने आयी कि पिछले एक वर्ष से कमरे को खाली करने को लेकर कामेश्वर पांडेय और उनके रेंटर गोपाल भारती के बीच विवाद चल रहा था.
हाई प्रोफाइल दोहरे हत्याकांड का मामला संज्ञान में आने के बाद घटनास्थल पर पूरे मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया. टीम में शामिल पदाधिकारियों को कांड के उद्भेदन के लिए अलग अलग टास्क दिया गया था. पुलिस अधिकारियों ने पुलिस की एक टीम को मोहल्ले में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच में लगा दिया. फुटेज में रात 10:44 बजे गली से निकलती दिख रही पांडेय की कार मोहल्ले के एक सीसीटीवी में गुरुवार रात 10:44 बजे पांडेय की कार को गली के बाहर निकलते देखा गया.
हत्या के बाद अधिवक्ताओं ने कोर्ट का काम बंद कर आपात बैठक बुलायी है. साथ ही दोषी को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की. मामले में उस वक्त भागलपुर पुलिस पर हत्याकांड के फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं होने पर अधिवक्ताओं ने रोष भी जताया था. इसको लेकर अधिवक्ताओं की ओर से आंदोलन भी किया गया. जिसके बाद पुलिस एक्टिव हुई और घटना के पांच दिन बाद ही कांड के मुख्य अभियुक्त गोपाल भारती और उसके सहयोगियों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर लिया गया था. एक अभियुक्त भागलपुर से ही गिरफ्तार किया गया था.
2015 में गोपाल भारती सपा की टिकट पर भागलपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था. वह मूल रूप से नया टोला, भीखनपुर, दो नबंर गुमटी का रहने वाला है और उसके पिता का नाम शिवराज राम है. पुलिस ने गोपाल के घर छापेमारी की, लेकिन वह नहीं मिला. कामेश्वर पांडेय मूल रूप से यूपी के फैजाबाद के रहने वाले थे और गोपालपुर के तीन टंगा करारी गांव में आकर बस गए थे.
नबाबबाग कॉलोनी में जमीन खरीद कर घर बनाया था, जबकि घरेलू नौकरानी बौंसी के देवी कैरी गांव की रहने वाली थी. कामेश्वर पांडेय को बेटा नहीं है. एक बेटी है, जिसकी शादी धनबाद में हुई है. इस कारण 20 सालों से रेणु, कामेश्वर पांडेय के घर रह कर उनका देखभाल करती थी. हत्या की जानकारी पाकर पुलिस के आलाधिकारी, भागलपुर कोर्ट के अधिवक्ता, नेता मृतक के घर पहुंच गए. हत्या के विरोध में डीबीए अध्यक्ष अभयकांत झा ने दो दिनों की हड़ताल की घोषणा की है.
हत्या के पांच दिन बाद ही कोलकाता से हुई गोपाल भारती की गिरफ्तारी के साथ साथ उसके कुछ सहयोगी भी गिरफ्तार कर लिए गए थे. रवीश की निशानदेही पर उसके घर से पुलिस ने एक कट्टा और एक गोली बरामद किया था. रवीश ने समक्ष दिये अपने स्वीकारोक्ति बयान में बताया कि वह गब्बर पासवान और राज कुमार सिंह के साथ करीब नौ बजे अधिवक्ता के घर पहुंचा था. वहां पहले से ही गोपाल भारती मौजूद था. कुछ देर बाद नौकरानी रेणु झा नीचे गेट लगाने के लिए आई थी.
जब वह लौटने लगी तो राज कुमार ने उसका मुंह दबाकर गोपाल के कमरे में खींच लिया. फिर तीनों ने गला घोंटकर उसे मार डाला. उसके सिर पर लोहे के रॉड और पिस्तौल से कई बार प्रहार भी किए. गोपाल ने पहले से ही जेनरेटर का ड्रम खाली कर रखा था. नौकरानी का हाथ पांव बांध उसे ड्रम में डालकर ढक दिया. नौकरानी की हत्या के बाद सभी हत्यारोपित पहली मंजिल पर स्थित अधिवक्ता के कमरे में गए. अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय सोए हुए थे. अंधेरा होने के कारण तीनों उनके कमरे में प्रवेश कर गए.
गोपाल भारती ने उनके गले को दबा दिया, रवीश खुद अधिवक्ता के पैर को पकड़कर बैठ गया. गब्बर उनके मुंह पर तकिया देकर दम घोंटने लगा. राज कुमार ने अपनी पिस्तोल की बट से एक के बाद एक उनके सिर पर कई वार किया. गोपाल ने पहले पुख्ता कर लिया कि अधिवक्ता की मौत हुई की नहीं. इसके बाद उसने दूसरे कमरे के अलमारी का लॉकर तोड़ा. उसमें से एक लाल रंग का थैला निकाला, जो रुपये से भरा हुआ था. फिर गोपाल ने टीवी के पास से गाड़ी की चाबी उठाई और वे सभी गाड़ी लेकर भाग निकले.
रवीश ने पुलिस को बताया कि वे लोग घटना को अंजाम देने के बाद अधिवक्ता की कार से भागे थे. कार में उसके साथ भीखनपुर निवासी राज कुमार सिंह उर्फ राज और मुंगेर जिले के घोरघट निवासी गब्बर पासवान भी शामिल था. गब्बर लोदीपुर में अपने ससुर के यहां रहता था. विक्रमशिला सेतु से आगे बढऩे पर उन लोगों ने साथ खाना खाया. इसके बाद गब्बर वहीं से घर जाने के लिए कार से उतर गया. रवीश के मुताबिक वह गोपाल के साथ किशनगंज तक गया. उसके ससुराल में खाना पीना खाया और गाड़ी लगा दी. इसके बाद वह वहां से निकल गया. उसे जाते समय गोपाल ने 10 हजार रुपये दिए थे.