TMBU के शोधार्थियों को PHD करने के लिए देना होगा ग्राउंड रिपोर्ट सर्वे, दस फीसदी नकल पर छूट!
Bhagalpur news: टीएमबीयू के शोधार्थियों को पीएचडी करने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट देने होंगे. रिपोर्ट के नाम पर हवा-हवाई नहीं चलेगा. सिर्फ कागजी प्रक्रिया पूरा करने पर पीएचडी की उपाधि नहीं मिलेगी.
भागलपुर: टीएमबीयू के शोधार्थियों को पीएचडी करने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट देने होंगे. रिपोर्ट के नाम पर हवा-हवाई नहीं चलेगा. सिर्फ कागजी प्रक्रिया पूरा करने पर पीएचडी की उपाधि नहीं मिलेगी. विवि प्रशासन रिसर्च को लेकर नयी व्यवस्था बनाने जा रही है. आने वाले दिनों में विवि के शोधार्थियों को सारे दस्तावेजों के साथ ग्राउंड रिपोर्ट भी लगाकर देने होंगे.
देना होगा ग्राउंड सर्वे रिपोर्ट
विवि के कुलपति प्रो जवाहर लाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि रिसर्च में गुणवत्ता लाने के लिए शोधार्थियों को दिये टॉपिक्स पर सर्वे कर ग्राउंड रिपोर्ट भी देने होंगे. हर छह माह पर रिसर्च संबंधित किये गये सर्वे का समीक्षा की जायेगी. समीक्षा में कमी मिलने पर फिर से सर्वे करने के लिए कहा जायेगा. ताकि शोधार्थी किये रिसर्च को जान सकें. इससे रिसर्च में गुणवत्ता आ सकें. वीसी ने कहा कि जानकारी मिल रही है कि पीएचडी कराने के नाम पर खेल हो रहा है. अब ये सब नहीं चलेगा. नियम-परिनियम से ही काम होंगे.
दस फीसदी ही नकल पर छूट
पीएचडी के लिए लिखे जाने वाले थीसिस में दस फीसदी ही साहित्यिक नकल की छूट मिलेगी. इससे पहले थीसिस में 35 फीसदी नकल की छूट थी. सूत्रों के अनुसार थेसीसि में गड़बड़ी के बाद भी पास हो जाता था. पुराने सर्वे से ही काम चलता रहा.
पूर्व कुलपति ने थीसिस में पकड़ी थी गड़बड़ी
विवि के पूर्व कुलपति प्रो एनके झा ने पीएचडी को लेकर विवि में जमा थीसिस में कई गड़बड़ी पकड़ी थी. उन थीसिस को तत्काल रोक दिया था. विवि के पूर्व अधिकारी ने कहा कि शोधार्थी ने संबंधित टॉपिक में 50 फीसदी से ज्यादा नकल कर रखा था.
एंटी प्लेजरिज्म से पकड़ा जाता है नकल
शोध थीसिस में साहित्यिक नकल को पकड़ने के लिए एंटी प्लेजरिज्म सॉफ्ट वेयर से पकड़ा जाता है. विवि के सेेंट्रल लाइब्रेरी में शोधार्थियों द्वारा जमा थीसिस की जांच उक्त सॉफ्टवेयर से किया जाता है. नकल मानक से ज्यादा मिलने पर शोधार्थी को थीसिस लौटा दिया जाता है. साहित्यिक नकल कम कर दोबारा जमा करने के लिए कहा जाता है. सूत्रों के अनुसार पिछले साल आर्ट्स संकाय में सबसे ज्यादा साहित्यिक नकल मिला था. जबकि साइंस संकाय में इस तरह की गड़बड़ी कम मिले थे.