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जीरोमाइल टू सबौर: संभल कर चलें नहीं तो कमर व गर्दन के हो जायेंगे मरीज…

bhagalpur NH News बाबूपुर मोड़ से सबौर चौक तक सड़क कुछ ज्यादा ही खराब है. पैचअप पूरी तरह से उखड़ गया है. कुछ जगह पर सड़क धंस गयी है

 Bhagalpur NH News भागलपुर एनएच 80 की रोड ने सिर्फ दर्द दिया है. इस हाइवे से अभी भी दर्द कम नहीं हुआ है, जबकि यह पीसीसी बन रही है. जीरोमाइल से आगे बढ़ते ही एनएच राहगीरों को दर्द महसूस कराने लगता है. क्योंकि, सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं. ये गड्ढे राहगीरों को बीमार कर रहे हैं. बड़े गड्ढों और उखड़ी गिट्टियों से वाहनों की रफ्तार तो सुस्त हो ही रही है, साथ में राहगीर इनमें लगने वाले झटकों से कमर और गर्दन दर्द के मरीज हो रहे हैं.

परेशान करने वाली बात यह है कि हाल के कुछ दिन पहले एनएच विभाग ने पैचवर्क कराया, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सका. पीसीसी सड़क जबतक बन नहीं जाती है, तबतक सड़क को कम से कम चलने लायक बनाये रखने की जिम्मेदारी विभाग की है मगर, वह भी उसको उसी हाल पर छोड़ दिया है. सड़क गड्ढों में तब्दील हो गयी हैं. फिलहाल मौजूदा हिस्से में सड़क के गड्ढे राहगीरों को दर्द दे रहे हैं. दुपहिया और चार पहिया वाहन हिचकोले खाते हुए चलते हैं. जरा सी चूक राहगीरों को चोटिल कर देती है.

रानी तालाब के पर सड़क बह रहा नाले का पानी

इस मार्ग में रानी तालाब के पास नाला ओवरफ्लो कर जाने से गंदा पानी सड़क पर बहने लगा है. जलजमाव से राहगीरों को आने-जाने में परेशानी होने लगी है. यह वही जगह है, जहां कुछ साल पहले सड़क तालाब में तब्दील हो गया था. तालाब नुमा गड्ढे में रोज दो पहिया व तीन पहिया पलटा करती थी. तीन महीने तक नारकीय स्थिति बनी थी. नाले के पानी का बहाव नहीं रोका गया, तो वैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

अतिक्रमणकारियों की चपेट में हाइवे

जीरोमाइल से लेकर सबौर के बीच हाइवे अतिक्रमणकारियों की चपेट में है. इसे हटाने की योजना तीन साल पहले बनी है मगर, अबतक कार्रवाई नहीं की जा सकी है. कोई दुकान बाहर निकाल लिया है, तो किसी ने फुटपाथ पर झोपड़ी बना लिया है. खंभा-खूंटी और बांस-बल्ला से घेर कर रखने से सड़क संकरी हो गयी है.

बिजली का पोल भी नहीं हुआ शिफ्ट

शहर में प्रवेश के मार्गों में से यह भी (सबौर-जीरोमाइल) एक मार्ग है. इस मार्ग पर बिजली के पोल हैं, जिसको शिफ्ट नहीं किया जा सका है. चार साल पहले जब सड़क पलक इंफ्रा नामक कंपनी बना रही थी, तभी इसके शिफ्टिंग की बात हुई थी. लेकिन, इसको अबतक अमल में नहीं लाया जा सका है.

बाबूपुर मोड़ पर जगह पर्याप्त

बाबूपुर मोड़ खतरनाक हो गया है. टर्निंग प्वाइंट पर पर्याप्त जगह है लेकिन, चलने के लिए सिर्फ पांच फीट सड़क बची है. आधी सड़क टूट कर मिट्टी में मिल गयी है. यहां गाड़ियों के पलटने का खतरा बना है.

बाबूपुर मोड़ से सबौर चौक तक कुछ ज्यादा ही खराब है सड़क

बाबूपुर मोड़ से सबौर चौक तक सड़क कुछ ज्यादा ही खराब है. पैचअप पूरी तरह से उखड़ गया है. कुछ जगह पर सड़क धंस गयी है. ऊबड़-खाबड़ के कारण सड़क समतल भी नहीं रह गयी है. इस बीच एक जगह पर पुलिया है और उसकी एक साइड की रेलिंग गिर गयी है. पुलिया के पास खड़ा रहने 10 फीट गहरे गड्ढे में गिरने का भय लगता है.
झटकों से डिस्क खिसकने का खतरा

जेएलएनएमसीएच के फिजियोथेरेपिस्ट डाॅ सुनील कुमार निराला ने बताया कि तेज झटकों से कमर की डिस्क खिसकने का खतरा रहता है. रीढ़ व कमर दर्द के मरीजों के लिए गड्ढों भरी सड़क पर सफर और दर्द बढ़ा सकती है. इसके अलावा सर्वाइकल से गर्दन में दर्द हो सकता है. इसके लक्षण होने पर सुरक्षित यात्रा ही बचाव है. बाइक आदि के सफर से परहेज करना होगा. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना बेहतर उपाय है.

पैचवर्क की करायी जाये जांच
सड़क के पैचवर्क में काम कम और विभागीय गफलत ज्यादा नजर आयी है. पैचवर्क के कार्यों की जांच व थर्ड पार्टी निरीक्षण नहीं होने के कारण ज्यादा दूरी में मटेरियल डालकर सिर्फ खानापूरी की गयी है. ताकि माप पुस्तिका (एमबी) में नाप ज्यादा से ज्यादा राशि के बिल का पेमेंट हो सके. इसकी जांच करायी जाये, तो पकड़ में आ सकता है.

हाइवे का निर्माण कार्य प्रगति पर है. यह जबतक नहीं बन जाता है, तबतक इसको चलने की स्थिति में मेटेनेंस कराया गया है. अगर फिर से गड्ढे बन गए हैं, तो मेंटेनेंस होगा. अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस भी दी जायेगी. पीसीसी सड़क नवंबर तक बनेगी, तो फिर इस तरह की स्थिति नहीं रहेगी. सड़क आवागमन के लिए बेहतर हो जायेगी.
बृजनंदन कुमार, कार्यपालक अभियंता राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल, भागलपुर

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