भागलपुर. एनएच 80 के जीरोमाइल-मिर्जाचौकी रोड के मेंटेनेंस के लिए राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल, भागलपुर को पैसा नहीं मिल रहा है. इधर, हाइवे की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. ऐसे में एनएच का प्रमंडलीय कार्यालय अपने हेडक्वार्टर को त्राहिमाम संदेश भेजने की तैयारी कर रहा है. दरअसल, टेंडर फाइनल होने के छह माह बाद भी कंक्रीट रोड का निर्माण शुरू नहीं हो सका है. इस संबंध में कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार सिंह ने मंदिर में होने की बात कह कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. बाद में भी उनसे बात करने की कोशिश सफल नहीं हुई.
एनएच 80 के निर्माण में कई पेच हैं. पहले यह टेंडर के पेच में फंसा रहा और अब फाॅरेस्ट क्लीयरेंस का चक्कर है, जबकि ठेका एजेंसी फरवरी में ही बहाल हो गयी है. इस पेच के कारण चयनित ठेका एजेंसी को वर्क आर्डर जारी नहीं किया जा सका है.
हद यह कि निर्माण नहीं शुरू पाने तक दोनों चयनित एजेंसियों को मरम्मत कर सड़क चलने लायक बनाना है, पर वह भी नहीं हो रहा है, क्योंकि इस पर भी फॉरेस्ट क्लियरेंस की छाया है.
भागलपुर जीरोमाइल से मिर्जाचौकी तक सड़क का ठेका अरुणाचल प्रदेश की टीटीसी इंफ्रा इंडिया को मिला है, जबकि राजस्थान की एमबी कंस्ट्रक्शन को घोरघट (मुंगेर) से नाथनगर दोगच्छी के बीच सड़क बनाने का काम मिला है.
2016 : मंत्रालय से पीक्यूसी निर्माण का प्रोजेक्ट रिजेक्ट
2017 : 80 करोड़ से बननी थी अलकतरा की सड़क, मंत्रालय ने रोका
2018 : 48 करोड़ से हाइवे निर्माण की मंत्रालय ने दी मंजूरी. शामिल किया गया मसाढ़ू पुल का निर्माण
2020 : 48 करोड़ में 36 करोड़ हो गये खर्च, पर सब काम रहा अधूरा
2021 : एक बार फिर 971 करोड़ से कंक्रीट बनाने की मिनिस्ट्री ने दी मंजूरी. टेंटर भी फाइन हुआ, पर अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका व जमीन नहीं मिली. इस वजह से काम करने के लिए चयनित महाराष्ट्र की ठेका एजेंसी एजी कंस्ट्रक्शन ने काम करने से कर दिया इंकार.
2022 : दुबारा फरवरी में दूसरी ठेका एजेंसी बहाल हुई, पर फिर फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलने से शुरू नहीं हो सका काम