भागलपुर सदर अस्पताल में रोजाना पचास से ज्यादा नेत्र रोगी इलाज कराने ओपीडी में आते हैं. नेत्र टेक्नीशियन आंख जांच कर मरीज को चिकित्सक के पास भेजते हैं. सदर अस्पताल में केवल एक नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं. इससे मरीज को परेशानी से दो चार होना पड़ता है. सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अगर मरीज दूर-दराज से इलाज कराने अस्पताल आये और चिकित्सक कोर्ट गवाही या कैंप में चले गये, तो मरीज को निराश होकर घर लौटना पड़ता है.
गवाही के लिए टालना होता है ऑपरेशन
सदर अस्पताल में ऑपरेशन के लिए मरीज को डेट दिया जाता है. तय समय पर मरीज आ जाते हैं. अपने साथ जांच रिपोर्ट भी रखते हैं. ऐन वक्त पर पता चलता है ऑपरेशन टाल दिया गया है. वजह डॉक्टर कोर्ट की गवाही में गये हैं. इसके अलावा अगर शहर में कोई अतिविशिष्ट आ गये तो उनके लिए भी चिकित्सक को एंबुलेंस के साथ लगाया जाता है. इसका भी असर मरीज के इलाज पर होता है.
जनवरी में महादलितों के लिए लगाया जायेगा 10 दिन का कैंप
गणतंत्र दिवस को लेकर महादलित परिवार के लिए खास तौर पर कैंप लगाया जायेगा. दस दिन के कैंप में आंख जांच के साथ साथ चश्मा भी बनाया जायेगा. इसके बाद 26 जनवरी को सभी रोगी को अधिकारी चश्मा देंगे. इस काम के लिए भी सदर अस्पताल के नेत्र चिकित्सक के साथ-साथ सभी टेक्नीशियन को लगाया जाना है. इस वजह से दस दिन के बाद सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों को नेत्र रोग विशेषज्ञ की सेवा मुश्किल से मिल पायेगी.
सरकार ने दिया टारगेट तो पूरा करना होगा मुश्किल
फरवरी में एक लाख मोतियाबिंद ऑपरेशन का टारगेट विभाग ने रखा है. इस वजह से जिले को भी ऑपरेशन का टारगेट मिलना तय है. संभव है कि तीन हजार ऑपरेशन जिले के चिकित्सक को करना पड़े. ऐसे में सदर अस्पताल में एक चिकित्सक कितना ऑपरेशन कर सकते हैं यह देखना दिलचस्प होगा.
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