शत-प्रतिशत हुई बिचड़ा की बुआई, फिर भी समय से 20 दिन पीछे
जिले में देर से हुई बारिश के बाद बिचड़ा बुआई में तेजी आयी और सोमवार को शत-प्रतिशत हो गयी. फिर भी समय से 20 से 25 दिन बिचड़ा पीछे रह गया.
जिले में देर से हुई बारिश के बाद बिचड़ा बुआई में तेजी आयी और सोमवार को शत-प्रतिशत हो गयी. फिर भी समय से 20 से 25 दिन बिचड़ा पीछे रह गया. इससे रोपनी धीमी गति से हो रही है. दरअसल अब तक 20 फीसदी बिचड़ा भी रोपनी के लिए तैयार नहीं हो पाया है.
कृषि विभाग के पदाधिकारियों की मानें तो जिले में 4588 हेक्टेयर भूमि में बिचड़ा बुआई हुई, जो कि इस बार शत-प्रतिशत है. वहीं अब तक 1158 हेक्टेयर में रोपनी हुई, जो कि तय लक्ष्य का 2.5 प्रतिशत है. बिचड़ा का काम यदि 20 दिन पहले हो जाता, तो 30 फीसदी से अधिक रोपा का काम हो जाता.
कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार जिले में सबसे अधिक रोपनी पीरपैंती में हुई, जबकि इसके बाद बिहपुर में, रंगरा चौक में, फिर अन्य प्रखंडों में रोपनी हुई. इसके विपरीत धान का कटोरा कहलाने वाला क्षेत्र शाहकुंड, जगदीशपुर, गोराड़ीह में बहुत कम रोपनी हो पायी है. यहां के किसान बिचड़ा बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं. युवा किसान शिरोमणि ने बताया कि शाहकुंड के कुछ इलाके में सीधी बुआई हुई है. पहले बारिश की अभाव में खेतों में दरार पड़ने लगे थे और उगा हुआ बिचड़ा भी पानी को तरसने लगा था. अब बारिश इतनी हो गयी कि खेतों से पानी निकालने के लिए किसान परेशान हैं. हैं.
किसान कर लेते थे 30 प्रतिशत रोपाकृषि विशेषज्ञों व किसानों की मानें तो मानसून समय पर पहुंच जाता और पर्याप्त बारिश होती तो जिले के किसान 30 तक रोपा कर लेते. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार देर से सही बारिश ठीक हुई है. यही बारिश पहले होती तो धान का रोपा सामान्य हो पाता. कृषि विभाग के अनुसार शाहकुंड के तीन पंचायत में बॉग रोपा, सुल्तानगंज में बॉग रोपा हुआ. देसरी जगदीशपुर के किसान राजशेखर ने बताया कि पानी की सुविधा होती तो 30 प्रतिशत तक रोपा हो गया होता. बिचड़ा भी पूरी तरह नहीं बो सके हैं तो रोपा तो दूर की बात है.
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