विश्वविद्यालय ने दिया प्रमोशन, चुनाव आयोग ने डिमोशन
भागलपुर: कॉलेज में लेरर थे, तो चुनाव आयोग ने मजिस्ट्रेट नियुक्त किया था और वर्तमान में विश्वविद्यालय ने पदोन्नति(प्रमोशन) कर रीडर बनाया तो चुनाव आयोग ने पदावनति(डिमोशन) कर पीठासीन पदाधिकारी के रूप में नियुक्ति कर दी. मामला स्थानीय सुंदरवती महिला कॉलेज के प्राध्यापकों से संबंधित है. कुछ ऐसा ही माजरा टीएनबी व मारवाड़ी कॉलेज का […]
भागलपुर: कॉलेज में लेरर थे, तो चुनाव आयोग ने मजिस्ट्रेट नियुक्त किया था और वर्तमान में विश्वविद्यालय ने पदोन्नति(प्रमोशन) कर रीडर बनाया तो चुनाव आयोग ने पदावनति(डिमोशन) कर पीठासीन पदाधिकारी के रूप में नियुक्ति कर दी. मामला स्थानीय सुंदरवती महिला कॉलेज के प्राध्यापकों से संबंधित है. कुछ ऐसा ही माजरा टीएनबी व मारवाड़ी कॉलेज का भी है.
दरअसल सोमवार को एसएम कॉलेज के कर्मचारियों व प्राध्यापकों को चुनावी ड्यूटी में लगाये जाने संबंधी नियुक्ति पत्र प्राप्त हुआ. कॉलेज को पत्र शुक्रवार को ही जारी हो गया था, लेकिन बिहार दिवस व साप्ताहिक छुट्टी के कारण कर्मचारियों व प्राध्यापकों को पत्र देर से प्राप्त हुआ. जिला निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा जारी इस पत्र में कॉलेज के थर्ड व फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों के साथ वरीय रीडर, रीडर को भी पीठासीन पदाधिकारी नियुक्त कर दिया गया है. इसको लेकर प्राध्यापकों में आक्रोश है.
रीडर डॉ रमन सिन्हा का कहना है कि पूर्व के चुनावों में जब वह लेरर थे तो उन्हें मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था. आज प्रोन्नत होकर रीडर बनें, तो चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के साथ पीठासीन पदाधिकारी नियुक्त कर दिया गया है. यह उनके व वरीय रीडर के सम्मान के खिलाफ है. मालूम हो कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार जिला निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा महाविद्यालयों से कर्मचारियों की जो सूची मांगी गयी थी. उसमें कर्मचारियों के नाम, पदनाम, मूल वेतन और ग्रेड पे आदि का ब्योरा देना था. एसएम कॉलेज ने उक्त फॉर्मेट में ही सूची उपलब्ध करायी थी. सूची में माली व लैब असिस्टेंट का नाम भी दर्ज था.
सम्मान के विपरीत नहीं करेंगे चुनावी कार्य
प्राध्यापकों का साफ कहना है कि वे जिला निर्वाचन कार्यालय के फैसले का संवैधानिक विरोध करेंगे. पिछले कई चुनावों में उन्हें मजिस्ट्रेट, पेट्रोलिंग मजिस्ट्रेट, जोनल मजिस्ट्रेट का कार्यभार सौंपा जाता रहा है. ऐसे में अपने सम्मान के साथ समझौता नहीं करेंगे. मालूम हो कि मंगलवार से चुनावी प्रशिक्षण शुरू होना है. ऐसे में इन प्राध्यापकों का विरोध जिला निर्वाचन पदाधिकारी के लिए अतिरिक्त सिरदर्द होगा.