कान पकड़े छी बाबू, खेत परती राखबै, परवल नय लगैबै
नवगछिया: देश के महानगरों में लोग 50 रुपये किलो परवल खरीद रहे हैं, वहीं नवगछिया अनुमंडल के मंडियों में औने-पौने भाव में भी कोई लेने को तैयार नहीं है. नवगछिया अनुमंडल के परवल किसानों की समस्या कम होने की उम्मीद नहीं के बराबर दिख रही है. गुरुवार को नवगछिया के विभिन्न मंडियों में परवल के […]
नवगछिया: देश के महानगरों में लोग 50 रुपये किलो परवल खरीद रहे हैं, वहीं नवगछिया अनुमंडल के मंडियों में औने-पौने भाव में भी कोई लेने को तैयार नहीं है. नवगछिया अनुमंडल के परवल किसानों की समस्या कम होने की उम्मीद नहीं के बराबर दिख रही है. गुरुवार को नवगछिया के विभिन्न मंडियों में परवल के मूल्य में 50 पैसे का इजाफा हुआ है.
जाह्नवी चौक का हाई लेवल मंडी में गुरुवार को भी कुछ किसानों के परवल नहीं बिके. करीब 10 क्विंटल परवल मंडी में रखा रह गया. स्थानीय स्तर के सब्जी मंडियों पर नजर राखनेवाले जानकार लोगों ने बताया कि आये दिन परवल के मूल्य में ज्यादा इजाफा होने की उम्मीद नहीं के बराबर है. इसका सबसे बड़ा कारण नवगछिया सहित आसपास के इलाकों में परवल का अधिक उत्पादन होना बताया जा रहा है. बिहपुर प्रखंड के लत्तीपुर सब्जी आढ़त का भी कमोबेश यही हालत है. छोटे किसान खेतों से ठेला से परवल आढ़त तक ला रहे हैं, लेकिन आढ़त पर किसानों के बिक्री के आधे पैसे ठेला वालों को देना पड़ रहा है.
जदयू नेताओं का एक दल पहुंचा मंडी : जदयू प्रखंड अध्यक्ष गुलशन कुमार अपने सहयोगी सिंटू कुमार अकेला, प्रभात कुमार के साथ जाह्नवी चौक परवल हाट पहुंचे. किसान और व्यापारी उन्हें चारों तरफ से घेर लिया और खरी खोटी सुनाने लगे. गीता देवी ने कहा कि परवल के भाव में इतनी गिरावट हो गयी है कि हम लोग खून के आंसू रो रहे हैं. हम सरकार से ऋण लेकर खेती किये, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. किसान रोहित कुमार, कृष्णा, मोहन मंडल, रुचि मंडल, पवन साह, सिकंदर ठाकुर ने कहा कि सरकार ऋण माफ करे, नहीं तो हमलोग बे मौत मर जायेंगे. भागलपुर के व्यापारी विपिन कुमार का कहना था कि परवल का बाजार अभी नहीं चल रहा है. मैं क्या करुंगा, अधिक भाव में परवल लेकर क्या करूंगा. गुलशन कुमार ने किसानों को भरोसा दिलाया कि आप लोगों के लिए कृषि उच्च पदाधिकारी को आवेदन सौपेंगे.
दर में गुरुवार को मात्र 50 पैसे का इजाफा, रो रहे हैं कर्ज में डूबे हताश किसान
आढ़त तक आनेवाले किसानों ने कहा कि पहले साहूकारों या बैंकों से ऋण लिया. फिर खेतों में खून पसीना एक कर परवल की उन्नत खेती की, लेकिन आज परवल की बाजार में यह गति देख वह लोग आत्महत्या करने को विवश है. एक किसान को दो क्विंटल परवल का मूल्य कुल 300 रुपया मिला, तो ठेला वाला सामने आ गया. किसान ने एक सौ रुपया ठेला वाले को दिया, तो ठेला वाले ने कहा जितने में आपसे बात हुई कम से कम उतना यानी 50 रुपया और दे ही दीजिये. मन मसोस कर उस किसान ने ठेला वाले को 50 रुपया दिया. इसके बाद किसान ने रुंधे गले से कहा कान पकड़े छी बाबू, खेत परती राखबै लेकिन परवल नय लगैबै. आढ़त तक पहुंचने वाले कई किसान मायूस दिख रहे थे.