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रॉयल रह कर भी ”झोपड़ी” से प्यार ही है गांधी-प्रेम

भागलपुर : कैसर एनके जानी पहचान के मुहताज नहीं है. फिल्मों में बापू की भूमिका ही नहीं निभाते, बल्कि निजी जिंदगी में भी गांधीजी की तरह ही जिंदगी जीते हैं. दिल्ली में रहते हैं और हर सुख-सुविधा प्राप्त है, लेकिन अपने जन्मस्थान भागलपुर को नहीं भूलते. जब भी मौका मिलता है, भागलपुर आ जाते हैं. […]

भागलपुर : कैसर एनके जानी पहचान के मुहताज नहीं है. फिल्मों में बापू की भूमिका ही नहीं निभाते, बल्कि निजी जिंदगी में भी गांधीजी की तरह ही जिंदगी जीते हैं. दिल्ली में रहते हैं और हर सुख-सुविधा प्राप्त है, लेकिन अपने जन्मस्थान भागलपुर को नहीं भूलते.

जब भी मौका मिलता है, भागलपुर आ जाते हैं. रविवार को वे प्रभात खबर के भागलपुर कार्यालय में बतौर मेहमान पहुंचे और निजी जिंदगी से लेकर देश और दूसरे देशों पर भी बातचीत की. भागलपुर के मुअज्जमचक में एक लंबे-चौड़े कैंपस में बने आलिशान बंगले में जन्मे थे कैसर एनके जानी. घर के नौकरों को इस बात की सख्त हिदायत थी कि जानी आसपास के झोपड़पट्टियों में रहनेवाले बच्चों के साथ खेलने न जाये. लेकिन जानी चोरी-छिपे उन बच्चों के साथ खेलने में दिली खुशी का अनुभव करते थे. जानी यह मानते हैं कि गांधी से आत्मीय प्रेम तो उसी समय जन्म ले चुका था.
वे कहते हैं कि कई बार यूनाइटेड स्टेट जाने का मौका मिलता रहता है. वहां का जीवन-यापन, लोगों का एक-दूसरे से व्यवहार हम जैसे भारतीयों को अटपटा लगता है. वे पूछते हैं…क्या भारत में कोई मां अपनी बेटी से घर का किराया वसूल सकती है. क्या भारत में किसी बेटी का रोजगार छिन जाता है, तो मां घर से निकाल देती है. फिर यह भी कहते हैं कि पूरी दुनिया घूम आओ, भारत का जीवन पापड़ी चाट और दूसरे देशों का उबला आलू ही महसूस होगा. दुनिया में हिंदुस्तान की तरह दूसरा खूबसूरत देश नहीं है और उसमें भी बिहार और बिहार में बसे भागलपुर की तरह तो ढूंढ़ना मुश्किल.
अपनों से भी गैरों-सा दूसरे देश के लोग करते हैं व्यवहार, हमारे अंदर तो गैरों को भी अपना बनाने का है संस्कार
प्रभात खबर कार्यालय में मेहमान के तौर पर आये गांधी की भूमिका से फिल्मों में चर्चित हुए अभिनेता कैसर एनके जानी
किसी चेहरे में नहीं देखा, हिंदू है या मुसलमान : जानी बताते हैं कि आज तक किसी चेहरे में यह नहीं दिखा कि वह मुसलमान है या हिंदू या फिर और कोई. जब भी मौका मिला, मदद के हाथ बढ़ा दिये. किसी समारोह में आमिर खान आते हैं, तो तालियां गूंजती हैं. उसी समारोह में जानी आते हैं, तो लोग खड़े होकर अभिवादन करते हैं. जानी बताते हैं कि लोगों की मुहब्बत मिलती है, तो खुद के किये पर संतोष होता है.

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