कहीं चीमट राय तो नक्सलियों को नहीं कर रहा एकजुट

भागलपुर: 90 के दशक में पुलिस के हत्थे चढ़ा नक्सली नेता ठाकुर गंगटी (झारखंड) निवासी चीमट राय जेल से बाहर निकल कर नक्सलियों को एक बार फिर गोलबंद कर रहा है. इस आशय से खुफिया विभाग ने मुख्यालय को अवगत कराया है. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीमट राय ने 1990 में भूमिपतियों व भूमिहीनों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:42 PM

भागलपुर: 90 के दशक में पुलिस के हत्थे चढ़ा नक्सली नेता ठाकुर गंगटी (झारखंड) निवासी चीमट राय जेल से बाहर निकल कर नक्सलियों को एक बार फिर गोलबंद कर रहा है. इस आशय से खुफिया विभाग ने मुख्यालय को अवगत कराया है. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीमट राय ने 1990 में भूमिपतियों व भूमिहीनों के बीच दरार पैदा करा कर किसानों को न केवल प्रताड़ित किया वरण उनकी हत्या तक करवाया. वर्ग संघर्ष कर आतंक का राज कायम करने का उसका मनसूबा विफल हो गया.

उसे पीरपैंती के गौरीपुर से गिरफ्तार किया गया था. लेकिन इस बीच वह जेल से कब छूटा इस बात की जानकारी से संबंधित थाना अनभिज्ञ रहा. खुफिया सूत्र बताते हैं कि पिछले छह माह से चीमट राय पीरपैंती के दक्षिण पूर्वी क्षेत्र व झारखंड की सीमा मेहरमा थाना क्षेत्र में नक्सलियों को एकजुट कर रहा है.

पहली बार नहीं जली है मशाल
पीरपैंती व मेहरमा थाना क्षेत्र के बहियार में पहली बार नक्सलियों ने मशाल नहीं जलायी है. नक्सली लगातार छह माह से इस प्रकार की गतिविधियों से लोगों के बीच अपनी उपस्थिति का संदेश दे रहे रहे हैं. खुफिया सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे नक्सलियों के मंसूबे क्या हैं, इस संबंध में फि लहाल कुछ भी कहना जल्दीबाजी होगी.

राबड़ी के सत्ता में आने के दिन हुआ था नरसंहार
पीरपैंती के गौरीपुर व झुरकुसिया में उस दिन नरसंहार हुआ था, जिस दिन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं थीं. नरसंहार के बाद मुख्यमंत्री गौरीपुर व झुरकुसिया आयी थीं. गौरीपुर के कई किसान उस नरसंहार के नामजद अभियुक्त बनाये गये थे.

किसानों को किया था परेशान
चीमट राय ने जब भूमिहीनों व मजदूरों को भूमिपतियों के खिलाफ एकजुट किया तो किसानों के खेत या तो परती रह गये या फिर उनके खेतों में लगी फसल उनके घर तक नहीं पहुंची. नतीजा यह हुआ कि बड़े किसानों के सामने आर्थिक समस्या पैदा हो गयी. मजदूरों ने उनके खेतों में काम करना छोड़ दिया.

मजदूरों के हाथों में कुदाल की जगह हथियार सौंपा गया. वर्ष 2001 में बाराहाट में सीपीआइ नेता जगदीश राम की हत्या कर दी गयी. जबकि इस घटना में तीन नक्सली भी मारे गये थे. चांदपुर के किसान परमानंद सिंह की राइफल सहित अन्य किसानों के हथियार की लूट नक्सलियों ने की. परमानंद सिंह की हत्या के बाद कुमरडोय के भूपन सिंह की हत्या नक्सलियों ने की. नक्सलियों के करतूत से आजिज किसान एकजुट होने लगे.

अंबिका मंडल ने किया था नेतृत्व
सीपीआइ नेता अंबिका मंडल ने आखिरकार आंदोलन शुरू किया. उनके बैनर तले सभी धर्म व समुदाय के लोग आये. नक्सलियों के आतंक का खुल कर सामना किया गया. किसानों की फसल उनके घर तक फिर से पहुंचने लगा था.

Next Article

Exit mobile version