संविदा के नाम पर वसूली जाती है मोटी रकम

संविदा पर बहाल कर्मी को किया गया नियमित भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में अवैध रूप से संविदा पर बहाली का खेल पूर्व से चलता रहा है. विवि के कई कुलपति इस काम को बिना नियम के ही करते रहे हैं. राजभवन रेगुलेशन के उलट जाकर संविदा पर लोगों को बहाल करने का काम धड़ल्ले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2017 6:32 AM

संविदा पर बहाल कर्मी को किया गया नियमित

भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में अवैध रूप से संविदा पर बहाली का खेल पूर्व से चलता रहा है. विवि के कई कुलपति इस काम को बिना नियम के ही करते रहे हैं. राजभवन रेगुलेशन के उलट जाकर संविदा पर लोगों को बहाल करने का काम धड़ल्ले से होता रहा है. विवि के पूर्व प्रभारी कुलपति ने संविदा पर बहाल कर्मियों को नियमित तक कर दिया.
विवि के एक अधिकारी ने बताया कि विवि में बहाल संविदा कर्मियों काे बिना विज्ञापन व इंटरव्यू के ही रखा गया है. अधिकारियों को इस बारे में पता है, लेकिन सभी कार्रवाई करने से डरते हैं. वर्ष 2011 में विवि में 73 लोगों को संविदा पर रखा गया है. अबतक वह लोग कार्यरत है. 11 माह में उनके कामों का अवलोकन विवि में नहीं किया गया. बिना जांच किये ही विवि उनलोगों का सेवाकाल बढ़ाता रहा है. पेंडिंग रिजल्ट से लेकर कई ऐसे गंभीर मामले हैं, इसमें संविदा कर्मियों की मिलीभगत की बात सामने आयी है. पूर्व से लेकर अबतक के कुलपति ने मामले की जांच नहीं की. कई ऐसे संविदा कर्मी हैं, जो लाखों की संपत्ति अर्जित कर चुके हैं. उन संविदा कर्मियों की विवि जांच क्यों नहीं करा रहा है.
संविदा पर रखने का क्या है नियम
राजभवन रेगुलेशन के तहत संविदा पर बहाल करने के लिए विवि से विज्ञापन निकाला जाता है. विवि के वेबसाइट पर विज्ञापन को अपलोड किया जाता है. आवेदन करनेवाले प्रतिभागियों के लिए विवि में कमेटी बनायी जाती है. उस कमेटी के समक्ष प्रतिभागियों का साक्षात्कार लिया जाता है. इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया होती है.
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रभारी कुलपति डॉ एनके वर्मा के कार्यकाल में भी नियम के उलट जाकर 20 से अधिक लोगों को संविदा पर बहाल किया गया था. इसमें भी नियम-कानून को ताक पर रखा गया था. डॉ वर्मा ने उन कर्मियों को नियमित कर दिया. विवि व कॉलेज में आज भी वह कर्मचारी कार्यरत हैं. इसके पीछे बड़े पैमाने पर पैसे का खेल का आरोप लगा है.
टीएमबीयू के पूर्व कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे के कार्यकाल में भी 25 लोगों को बिना विज्ञापन व इंटरव्यू के ही रखा गया. पूरी प्रक्रिया में राजभवन रेगुलेशन को ताक पर रखा गया. विवि के तमाम अधिकारी को इसकी सूचना थी, लेकिन पूर्व कुलपति के सामने मुंह खोलने को तैयार नहीं थे. विवि के एक अधिकारी ने बताया कि मामले को लेकर विवि गंभीरता से विचार कर रहा है. विवि का कड़ा फैसला आ सकता है.
टीएमबीयू के कुलपति प्रो नलिनीकांत झा के कार्यकाल में भी 5 लोगों को बिना विज्ञान व इंटरव्यू के ही संविदा पर बहाल कर दिया गया. इसका खुलासा शनिवार को सिंडिकेट की बैठक में हुआ. सदस्य डॉ संजीव सिंह ने विवि प्रशासन से कहा कि सकारात्मक काम करें. अवैध रूप से विवि ने कैसे 5 लोगों को संविदा पर बहाल किया. अविलंब उनलोगों की संविदा रद्द हो. सदस्यों ने एक मत से संविदा रद्द करने की मांग विवि से की है.

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