आस्था : मुसलिम हूं, तो क्या? बाबा वैद्यनाथ से मिलने की थी तमन्ना

सुलतानगंज : श्रावणी मेला में धार्मिक आस्था व सामाजिक सद्भाव का मिसाल कायम हो रहा है. एक तरफ अजगैवी नगरी में अजान व प्रार्थना से कांवरियों के लिए दुआ मांगी जा रही है, वहीं दूसरी ओर शनिवार को यूपी के सिद्धार्थ नगर, नौगढ़ के पंचायत प्रतिनिधि मो जमादार गंगा जल भर कर बाबाधाम को रवाना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2017 2:51 PM

सुलतानगंज : श्रावणी मेला में धार्मिक आस्था व सामाजिक सद्भाव का मिसाल कायम हो रहा है. एक तरफ अजगैवी नगरी में अजान व प्रार्थना से कांवरियों के लिए दुआ मांगी जा रही है, वहीं दूसरी ओर शनिवार को यूपी के सिद्धार्थ नगर, नौगढ़ के पंचायत प्रतिनिधि मो जमादार गंगा जल भर कर बाबाधाम को रवाना हुए. मो जमादार अपने आठ साथियों के साथ अजगैवी नगरी पहुंचे. बाबा पर गहरी आस्था लिये मो जमादार बताते है कि ईश्वर एक है. हिंदू-मुसलिम, सिख-ईसाई के बंधन में ईश्वर को बांधा नहीं जा सकता है.

मुसलिम होने के बाद भी हिंदू देवी-देवता पर अपनी गहरी आस्था लिये मो जमादार ने बातचीत में बताया कि गंगा हिंदू हो या मुसलिम, सभी का कल्याण करती है. गंगा की शरण मैं आकर काफी गौरवान्वित हूं. जाति-धर्म बंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म के देवी-देवता की पूजा करने से आपसी सौहार्द व भाईचारा बनता है. हिंदू व मुसलिम दोनों धर्म एक है. मेरी ख्वाहिश थी कि बाबा वैद्यनाथ का दर्शन करूं. पूरे हिंदू रीति-रिवाज से मैं कांवर यात्रा लेकर जा रहा हूं. परिवार के सदस्य भी मुझे सहयोग करते है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बाबा वैद्यनाथ पर मेरी गहरी आस्था है. उनसे मिलने की मेरी तमन्ना थी. बाबा ने मुझे बुलाया तो मैं आया. नमाज मैं पढ़ता हूं. मुसलिम विधि-विधान के साथ सभी चीज करता हूं, किंतु हिंदू धर्म में भी मेरी गहरी आस्था है. कांवर यात्रा काफी कुछ जीवन में सिखाती है. जिसका अनुभव करने मैं आया हूं. मुस्लिम समुदाय के मो जमादार जब गंगा जल भरने जब गंगा घाट पहुंचे तो एक-दूसरे कांवरिया भी संकल्प के दौरान मो जमादार सुनते ही आश्चर्यचकित होकर कह उठे कि श्रावणी मेला में सभी जाति, बंधन को तोड़ कर पूरे भारत में एक मिसाल कायम करती है.

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