काम के बोझ के मारे, पुलिस जवान हमारे
भागलपुर: शहर के थानों में मौजूद पुलिस के पदाधिकारी व जवान काम के लोड से कराह रहे हैं. खाने-पीने से लेकर सोने तक के लिए ठीक से मौका नहीं मिल पा रहा है. प्रभात खबर ने शनिवार को आदमपुर थाने में जाकर वहां के पदाधिकारियों व जवानों से उनके दैनिक ड्यूटी व अतिरिक्त जिम्मेदारियों के […]
भागलपुर: शहर के थानों में मौजूद पुलिस के पदाधिकारी व जवान काम के लोड से कराह रहे हैं. खाने-पीने से लेकर सोने तक के लिए ठीक से मौका नहीं मिल पा रहा है. प्रभात खबर ने शनिवार को आदमपुर थाने में जाकर वहां के पदाधिकारियों व जवानों से उनके दैनिक ड्यूटी व अतिरिक्त जिम्मेदारियों के बारे में जाने का प्रयास किया. बातचीत में पता चला कि इस थाने पर तैनात पदाधिकारियों एवं जवानों पर काम का लोड इतना है कि इन्हें न तो ठीक से आराम मिलता है और न ही पूरी नींद मयस्सर है.
चूंकि इस थाने को थाना की स्वीकृति नहीं मिली है इसलिए यहां पर विभिन्न पद तो सृजित किये गये लेकिन यहां पर पद स्वीकृत नहीं हुए. लेकिन जितना महत्वपूर्ण यह थाना है, उस हिसाब से जरूरत के अनुसार यहां पर पुलिस पदाधिकारी से लेकर जवान पर्याप्त संख्या में तैनात नहीं है.
आलम यह कि हर रोज सीनियर अफसरों का हर दिन निकलने वाले आदेशों का पालन करते-करते पदाधिकारी व जवान हलकान हो रहे हैं. आदमपुर ओपी थाना में हर माह 20 से 22 केस दर्ज किये जाते हैं. जिनमें चार से पांच मामले गंभीर श्रेणी के होते हैं. इनके अनुसंधान की जिम्मेदारी यहां के पदाधिकारियों की होती है. हर माह 15 से 20 पासपोर्ट का वेरिफिकेशन करना होता है. 40 से 50 लोगों का चरित्र सत्यापन, 20 से 25 के करीब सम्मन, वारंट का तामिला कराना होता है. इसके अलावा ओपी थाने पर तैनात पदाधिकारियों व जवानों को महीने में 15 से 20 दिन विधि व्यवस्था की ड्यूटी करनी पड़ती है.
थाने के तहत महत्वपूर्ण चौक, बाजार व कार्यालय
मनाली चौक, कचहरी चौक, घंटाघर, खलीफाबाग, नया बाजार, दीपनगर चौक, बूढ़ानाथ चौक, आदमपुर, छोटी खंजरपुर (कोयला घाट), डीएम कार्यालय, कमिश्नर कार्यालय सह आवास, एसएसपी कार्यालय, डीडीसी कार्यालय, रजिस्ट्री कार्यालय, एसडीएम कार्यालय, व्यवहार न्यायालय.