कैंप लगा दाखिल-खारिज
निर्णय . शहरी क्षेत्र के राजस्व को ले बनी सहमति अगस्त में अतिक्रमित जल निकाय को करायें मुक्त पिछले तीन साल के रिकार्ड का अंचल स्तर से हो मिलान भागलपुर : शहरी क्षेत्र में भी दाखिल-खारिज का कैंप लगेगा. अंचल पांच-पांच वार्ड का ग्रुप बनायेंगे और लोगों को कैंप की तिथि के बारे में बतायेंगे. […]
निर्णय . शहरी क्षेत्र के राजस्व को ले बनी सहमति
अगस्त में अतिक्रमित जल निकाय को करायें मुक्त
पिछले तीन साल के रिकार्ड का अंचल स्तर से हो मिलान
भागलपुर : शहरी क्षेत्र में भी दाखिल-खारिज का कैंप लगेगा. अंचल पांच-पांच वार्ड का ग्रुप बनायेंगे और लोगों को कैंप की तिथि के बारे में बतायेंगे. इसका प्रचार भी होगा. यह निर्देश अपर समाहर्ता (राजस्व) हरिशंकर प्रसाद ने शनिवार को राजस्व की समीक्षा के दौरान दिये. उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर कैंप का कैलेंडर दिसंबर तक तैयार करके भेजा जाये. कैलेंडर को जिले के वेबसाइट पर अपलोड करेंगे. गांव में दाखिल-खारिज कैंप की जानकारी नहीं होने की शिकायत पर अंचलाधिकारी पर कार्रवाई होगी.
श्री प्रसाद ने कहा कि अगस्त तक अतिक्रमण वाले जल निकाय के पारित आदेश के तहत मुक्त करायें. प्रत्येक सप्ताह अंचलाधिकारी आरटीपीएस की जांच करें और दाखिल-खारिज व शुद्धि पत्र की संख्या का मिलान करें. इस संख्या में अंतर होने पर सीओ पर कार्रवाई होगी. उन्होंने पिछले तीन माह के दौरान दाखिल-खारिज का रजिस्टर-2 पंजी से मिलान करें. इस प्रक्रिया में अगर कोई रिकार्ड गायब मिले, तो उसकी रिपोर्ट अगले सप्ताह तक दें. उन्होंने गोपालपुर, इस्माइलपुर, रंगरा, नारायणपुर व जगदीशपुर अंचल में आये नये अंचलाधिकारी से कहा कि पूर्व की रिपोर्ट का अध्ययन कर लें, ताकि अगली बैठक में उस पर चर्चा कर सके. मौके पर सभी डीसीएलआर व अंचलाधिकारी उपस्थित थे.
मनरेगा से रेलवे जमीन पर बने पुराने पोखर होंगे जीवित
मनरेगा के तहत अब रेलवे की जमीन पर बने पुराने पोखर को जीवित किया जायेगा. रेलवे की जिस खाली जमीन पर जलजमाव रहता है, वहां नये पोखर की खुदाई होगी. रेल मंत्रालय ने सरकार को पत्र भेज पहल करने के लिए कहा है. पोखर होने से गिरते जल स्तर को ठीक करने में मदद मिलेगी. इस तरह रेलवे भी स्थानीय प्रशासन के जल अभियान में सहयोग करेगा. ग्रामीण विकास विभाग ने रेलवे की पहल को लेकर मनरेगा के कार्यक्रम समन्वयक को आगे की कार्रवाई के लिए निर्देश दिया है. इस बारे में रेलवे के अफसरों के साथ उनके ट्रैक के दोनों ओर खाली जमीन व पहले से बने पोखर पर चर्चा होगी. जहां-जहां पुराने पोखर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, वहां पर मनरेगा के तहत खुदाई का काम पहले शुरू होगा. यह काम मानसून के दौरान करने के लिए कहा है, ताकि पोखर होने से बारिश का जल बरबाद नहीं हो. रेलवे की जमीन पर पोखर हो जाये, तो जल स्तर में काफी सुधार होने की उम्मीद है.
अतिक्रमण से हो जायेगा बचाव. रेलवे ट्रैक के दोनों ओर खाली जमीन पर अक्सर अतिक्रमण हो जाता है. अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए काफी जद्दोजहद करना होता है. मनरेगा से जगह-जगह पोखर बनने से रेलवे की जमीन अतिक्रमण की जद में आने से बच जायेगी.