यार्ड में ही जमाते हैं कब्जा, बेचते हैं सीट

भागलपुर से खुलनेवाली एक्सप्रेस ट्रेनों की जेनरल बोगी का हाल सूर त, दादर, यशवंतपुर एक्सप्रेस में बिचौलिये सक्रिय भागलपुर. भागलपुर स्टेशन से खुलनेवाली एक्सप्रेस ट्रेनों की जेनरल बोगी में सीट के लिए यात्रियों को टिकट रहने के बावजूद जेब ढीली करनी पड़ती है. दरअसल एक्सप्रेस ट्रेनों की सामान्य श्रेणी की बोगी की सीट पर यार्ड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2017 5:47 AM

भागलपुर से खुलनेवाली एक्सप्रेस ट्रेनों की जेनरल बोगी का हाल

सूर त, दादर, यशवंतपुर एक्सप्रेस में बिचौलिये सक्रिय
भागलपुर. भागलपुर स्टेशन से खुलनेवाली एक्सप्रेस ट्रेनों की जेनरल बोगी में सीट के लिए यात्रियों को टिकट रहने के बावजूद जेब ढीली करनी पड़ती है. दरअसल एक्सप्रेस ट्रेनों की सामान्य श्रेणी की बोगी की सीट पर यार्ड में ही बिचौलिये कब्जा जमा लेते हैं और ट्रेन के स्टेशन पहुंचने पर उस सीट को यात्रियों को बेचा जाता है. सूत्रों की मानें तो सामान्य दिनों में एक सीट के लिए दो से तीन सौ रुपये लिये जाते हैं, जबकि पर्व-त्योहारों के समय एक सीट के बदले पांच सौ रुपये तक वसूला जाता है. सामान्य बाेगी में सीट बेचने का धंधा नया नहीं है. जब रेल पुलिस सख्ती बरतती है, तो कुछ दिनों तक सीट बेचने के खेल पर रोक लग जाती है, लेकिन रेल पुलिस के ढीला पड़ते ही बिचौलिये फिर से सक्रिय हो जाते हैं.
यार्ड में ही जमा लेते हैं कब्जा
बिचौलिये यार्ड में ही ट्रेन की सामान्य बोगी की सीटों पर कब्जा जमा लेते हैं. वहां वे ट्रेनों में आसानी से चढ़ जाते हैं और जब ट्रेन स्टेशन पर आती है, तो बोगी में घुसनेवाले यात्री से पैसे लेकर उनको सीट उपलब्ध करा देते हैं. यात्रियों को भी मालूम है कि अगर सीट चाहिए, तो बिचौलिये से संपर्क करना पड़ेगा. इसके अलावा इस गिरोह के कई सदस्य पहले से ही स्टेशन पर यात्रियों से पैसे की वसूली कर लेते हैं और बोगी खुलती है तो पैसा देनेवाले यात्रियों को सीट दे दी जाती है.
लंबी दूरी की ट्रेनों पर अधिक जोर
सीट बेचनेवाले गिरोह की नजर लंबी दूरी की ट्रेनों पर अधिक होती है. इसका कारण है कि रेलयात्री को लंबे समय तक सफर करना होता है, जो वे खड़े-खड़े नहीं कर सकते. भागलपुर से खुलनेवाली लंबी दूरी की ट्रेन दादर, सूरत और यशवंतपुर एक्सप्रेस मेें सीट बेचने का धंधा सबसे अधिक होता है. कई बार आरपीएफ और जीआरपी द्वारा यार्ड में कड़ाई की गयी, तो कुछ दिनों तक सब ठीक ठीक चला. लेकिन कड़ाई खत्म होने के बाद धंधा फिर शुरू हो गया.

Next Article

Exit mobile version