बेटी का रिश्ता टूटा, मां को किया बीमार
दंश. मेहनत की कमाई सृजन में जमा करनेवाली शाहिदा की जिंदगी में अब सिर्फ आंसू व गम गरीबाें का 200 करोड़ रुपये डकार गयी सृजन संस्था भागलपुर : अम्मा आप उदास मत हो…! मेरी शादी की चिंता छोड़ दीजिये. मैं शादी नहीं करूंगी. पूरी जिंदगी आपकी सेवा करती रहूंगी. नहीं बेटी, एेसा मत बोल ! […]
दंश. मेहनत की कमाई सृजन में जमा करनेवाली शाहिदा की जिंदगी में अब सिर्फ आंसू व गम
गरीबाें का 200 करोड़ रुपये डकार गयी सृजन संस्था
भागलपुर : अम्मा आप उदास मत हो…! मेरी शादी की चिंता छोड़ दीजिये. मैं शादी नहीं करूंगी. पूरी जिंदगी आपकी सेवा करती रहूंगी. नहीं बेटी, एेसा मत बोल ! जिसने हमें धोखा दिया है अल्लाह उससे हिसाब लेगा. सबौर से सटे फतेहपुर में एक टूटे-फूटे मकान में शाहिदा और उसकी बेटी रुख्सार आपस में इस तरह की बातें कर एक दूसरे से लिपट जाती हैं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं. शाहिदा ने अपनी मेहनत की एक एक पाई जोड़ कर सृजन में इस विश्वास के साथ जमा किया था कि बेटी शादी के लायक होगी तो पैसे काम आयेंगे. पर सृजन की मेहरबानी तो बड़े खिलाड़ियों पर थी.
शाहिदा जैसी महिलाओं के पैसे तो सृजन के अंदर हुए घोटाले की भेंट चढ़ गये. बुजुर्ग और बीमार शाहिदा और उनकी दो जवान बेटियों को इस संकट में धकेलने का जिम्मवार कौन है. सृजन के कर्ताधर्ता या वे घोटालेबाज जो सरकारी पैसे लेकर फरार हुए और फंस गये बेचारे गरीब. शाहिदा के आंसूओं से उठ रहे सवाल का आखिर जवाब भी कौन देगा.
सृजन में पैसे डूबने के बाद शाहिद की बेटी का रिश्ता भी टूट गया, खुद बीमार हो गयी है बुजुर्ग महिला
शाहिदा की बेटियां निराश होकर कहती हैं, वे शादी नहीं करेंगी, मां की सेवा में जिंदगी बितायेगी
समय खराब आया तो रिश्ता तोड़ गये लोग
शाहिदा ने बताया कि उसकी बेटी की शादी तय हो गयी थी. पूरी बात हो चुकी थी. वह सृजन से पैसे निकालने ही वाली थी तभी सब कुछ खत्म हो गया. पैसे डूबने की बात पता चलने पर लड़के वाले रिश्ता जुड़ने से पहले ही उसे तोड़ गये. वह कहती है कि वह रिश्ता लेकर कहां जाये कुछ समझ में नहीं आ रहा.
कर्ज लिया, सूद सहित वापस किया, मेरे पैसे लेकर क्यों भाग गये वे लोग
शाहिदा ने बताया कि उसे स्वयं सहायता समूह बनाने की जिम्मेवारी मिली थी. उसने कई महिलाओं को इससे जोड़ा. वह संस्था की सदस्य बनी. उसमें पैसे जमा किये. सृजन से उसने लोन लिया जो सूद सहित उसने वापस कर दिया. उसके बाद शाहिदा ने सृजन में अपना पैसा जमा किया ताकि बेटी की शादी कर सके. महिला का कहना है कि सृजन के बंद होने के बाद से वह बीमार हो गयी है. उसकी कोई नहीं सुनने वाला.
मैंने अपनी जिंदगी की पूरी कमाई सृजन में जमा किया. इस उम्मीद से कि दो बेटियों की शादी के समय पैसे निकाल लूंगी. सृजन बंद है और सभी फरार हैं. दो जवान बेटियों की शादी कैसे करूंगी, इस चिंता में तबीयत भी बिगड़ गयी है. मेरी बात कोई सुनने वाला नहीं.
शाहिदा, सृजन की खाता धारक
अम्मा के पास एक भी पैसा नहीं है. सारा पैसा सृजन में जमा कर दिया. अब मेरी और मेरी बहन की शादी कैसे होगी. मैंने अम्मा से कहती हूं कि वह हमारी शादी की चिंता न करें. मैं कुंवारी रह कर उनकी जिंदगी भर सेवा करुंगी.
रुख्सार, शाहिदा की बेटी
पति बुजुर्ग है, एक बेटे की कमाई से घर चलता है
शाहिदा ने कहा कि वह खुद बीमार है. पति भी बुजुर्ग हो चुका है, वह कहीं काम करने लायक नहीं. एक बेटा कमाने वाला है जिसकी कमाई से घर चलता है. बेटी की शादी कैसे होगी इसकी चिंता उसे खाए जा रही है. इस गरीब परिवार को अब सिर्फ ऊपर वाले पर ही भरोसा है.