प्रो साहब के पल्ले नहीं पड़ रहा यहां का हिसाब

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिसाब-किताब वाले दफ्तर का हिसाब यहां के कुछ प्रोफेसर साहब के पल्ले नहीं पड़ रहा. कौन करे इसका सॉल्यूशन, यह सोचकर अब वे पीछा छुड़ाने लगे हैं. वह भी तब, जबकि सेवाकाल के अंतिम पायदान पर खड़े हों, तो परेशानी मोल लेना कौन चाहे. छात्रों को उनके आवास पर संभालने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2017 11:43 AM
भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिसाब-किताब वाले दफ्तर का हिसाब यहां के कुछ प्रोफेसर साहब के पल्ले नहीं पड़ रहा. कौन करे इसका सॉल्यूशन, यह सोचकर अब वे पीछा छुड़ाने लगे हैं. वह भी तब, जबकि सेवाकाल के अंतिम पायदान पर खड़े हों, तो परेशानी मोल लेना कौन चाहे. छात्रों को उनके आवास पर संभालने का भी यहां का हिसाब बड़ा टेढ़ा है. इस उलटफेर पर ‘ऑफ द रिकार्ड’ खूब बोलते हैं लोग.
बाबू बने हिटलर, तो साहब को इस्तीफा
इस प्रोफेसर साहब को शायद ही किसी ने कभी राजनीतिक गतिविधि में या दूसरे के काम में टांग अड़ाते देखा हो. लेकिन इनके सीधेपन को बाबू लोग ताड़ गये हैं. तीन महीना बाद प्रोफेसर साहब रिटायर कर जायेंगे.

पिछले कई वर्ष से जो जिम्मेवारी संभाल रहे हैं, उससे उन्होंने इसलिए काम करने से अपने साहब को मना करते हुए चिट्ठी थमा दी कि बाबू लोग उनके रिटायरमेंट के बाद इस तीन महीने का हिसाब तैयार करने के लिए खूब दौड़ायेंगे. एक तो मेहनत कीजिए और ऊपर से दौड़-धूप भी. सुख-शांति से सेवानिवृत्ति मिले और अगले ही महीने विजिटिंग प्रोफेसर के लिए विदेश की राह पकड़ लें, इसके आगे बाबुओं की चिरौरी भला किसको अच्छा लगेगा.

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