आपकी कलम से शहर की पहचान

साहित्य सृजन की बेहद उर्वर भूमि रही है भागलपुर. शरत चंद्र से लेकर डाॅ राधाकृष्ण सहाय की कड़ी में कई ऊर्जावान साहित्य सर्जक इस कड़ी में लगातार जुड़ रहे हैं. लगातार समृद्ध होते साहित्यिक परिदृश्य में नयी पौध की आभा है, तो पुराने अनुभव की पकी-पकायी चमत्कृत कर देनेवाली मिठास भी. कविता, कहानी, आलोचना, उपन्यास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2017 11:43 AM
साहित्य सृजन की बेहद उर्वर भूमि रही है भागलपुर. शरत चंद्र से लेकर डाॅ राधाकृष्ण सहाय की कड़ी में कई ऊर्जावान साहित्य सर्जक इस कड़ी में लगातार जुड़ रहे हैं. लगातार समृद्ध होते साहित्यिक परिदृश्य में नयी पौध की आभा है, तो पुराने अनुभव की पकी-पकायी चमत्कृत कर देनेवाली मिठास भी. कविता, कहानी, आलोचना, उपन्यास हर विधा में यहां के कलमकारों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है. कहीं का साहित्य समृद्ध होने का अर्थ है- वहां की अभिव्यक्ति समृद्ध है. हमारी, आपकी, सभी की बात बेहद सहज तरीके से सुनी-कही जाती है. हमारे-आपके जीवन का अक्स इन रचनाओं में उभरता है.
भागलपुर: अंग नगरी की यह खासियत है कि एक साथ यहां तीन पीढ़ियां साहित्य सृजन में लगी हैं. अलग-अलग खासियत और स्वाद के साथ इनकी रचनाएं बेहद सशक्त होकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाती हैं. इनकी रचनाओं में यहां की लोककथाएं, यहां की जीवन शैली दिखती है. साथ ही यहां की समस्याएं व यहां की विशेषताएं दिखती हैं. साहित्य साधना में लीन ये सृजक किसी परेशानी की परवाह नहीं करते. बस अपने धुन में मस्त रह कर साहित्यिक परिदृश्य को समृद्ध कर रहे हैं.
डॉ देवेंद्र सिंह
डॉ देवेंद्र सिंह की कहानीकार के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है. लगभग 80 वर्ष की उम्र में भी लेखन में बेहद सक्रिय. हाल ही में प्रकाशित उनका आत्मकथ्यात्मक उपन्यास अत्ता-पत्ता और रैन भरी यही देस बेहद चर्चित. उनकी रचनाओं में अंगिका देशज शब्दों का प्रयोग चकित कर देनेवाला होता है. उनकी लिखी और राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित कई कहानियां बेहद चर्चित हैं. अभी भी उनका लेखन अनवरत जारी है.
डॉ बहादुर मिश्र
डॉ बहादुर मिश्र आलोचना विधा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं. उनकी 18 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं. नये और अनछुए विषयों पर उनका लेखन व बेहद महत्वपूर्ण संकलन कार्य जारी है. विश्वकोश व काव्य शास्त्र पर इनके बेहद मौलिक व महत्वपूर्ण कार्य हैं. हाल ही में लोक काव्य रूप में मुकरियां के नाम से किताब इनकी आयी है. महत्वपूर्ण लेखकों की मुकरियों को एक जगह संकलित करने का काम शायद हिंदी साहित्य में पहली बार हुआ है. ये बेहद महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि ये मुकरियां प्राय: लुप्त प्राय होने पर थी. इन कार्यों के अलावा इनका लेखन कार्य अनवरत जारी है.
और भी हैं साहित्यकार : इनके अलावा भी अंग क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण रचनाकार अपनी रचनाओं से साहित्यिक संसार को समृद्ध कर रहे हैं. सभी का नाम दे पाना संभव नहीं है. लेकिन उन सभी का योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है. इन सभी रचनाकारों की वजह से अंग क्षेत्र का साहित्यिक आकाश काफी विस्तृत और समृद्ध है.

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