दिल्ली की विनीता से मनोरमा के बीच का कनेक्शन खोलेगा घोटाले के कई राज, पढ़ें… और क्या-क्या हो रही जांच

भागलपुर : करोड़ों के सृजन घोटाले की जांच में हर रोज नये मोड़ आ रहे हैं. इस घोटाले के तार दिल्ली से जुड़ने के संकेत मिल रहे हैं. इस घोटाले की जांच में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. सृजन के जिस खाते से दिल्ली में द्वारिकापुरी की विनीता सिन्हा और सुरेंद्र प्रसाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2017 12:22 AM
भागलपुर : करोड़ों के सृजन घोटाले की जांच में हर रोज नये मोड़ आ रहे हैं. इस घोटाले के तार दिल्ली से जुड़ने के संकेत मिल रहे हैं. इस घोटाले की जांच में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. सृजन के जिस खाते से दिल्ली में द्वारिकापुरी की विनीता सिन्हा और सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा के ज्वाइंट अकाउंट में 20 लाख रुपये आरटीजीएस हुए हैं, उसमें से एक बड़ा हिस्सा दिल्ली के ही एक बिल्डर को गया है. सवाल यह उठ रहा है कि विनीता सिन्हा कौन है? उनका मनोरमा देवी से क्या कनेक्शन रहा है? विनीता और मनोरमा के बीच कनेक्शन सृजन घोटाले के कई राज को खोलेगा. इस मामले में बैंक ऑफ इंडिया के जोनल मैनेजर अरुणाभ चंद्र से बात करने की कोशिश की गयी मगर, उनकी ओर से फोन रिसीव नहीं किया गया.
क्या है मामला : सूत्र की मानें, तो बैंक ऑफ इंडिया की खलीफाबाग शाखा में 30 मार्च 2016 को जो खाता (462520110000333) खुला था, उससे 28 जुलाई 2016 को दिल्ली में द्वारिकापुरी के विनीता सिन्हा और सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा के ज्वाइंट अकाउंट (605710110003015) में लगभग 20 लाख की राशि आरटीजीएस हुई. सूत्रों के अनुसार, इस खाते से दिल्ली के ही एक बिल्डर को लगभग 18 लाख रुपये गया है. यह सृजन का वही खाता है, जो सबौर शाखा में खाता के चलते ब्रांच के बढ़ते डिपोजिट को देख उच्चाधिकारियों की पहल पर खलीफाबाग शाखा में खुला था.
बीओआइ में सृजन के खातों की अवधि रही एक साल आठ माह : बैंक ऑफ इंडिया की जिन शाखाओं का नाम अबतक सामने आया है, उसमें सृजन के खाते की अवधि लगभग एक साल आठ माह रही है. पहला खाता सबौर, तो दूसरा व तीसरा खाता खलीफाबाग शाखा में खुला था. इस पीरियड में ही एफडी भी हुए थे. सूत्रों की मानें, तो उस वक्त जोनल मैनेजर ज्ञानेश्वर प्रसाद और चीफ मैनेजर दिलीप ठाकुर थे. वर्तमान में तत्कालीन जोनल मैनेजर श्री प्रसाद लखनऊ में, तो चीफ मैनेजर श्री ठाकुर पटना में कार्यरत हैं. बीओआइ की सबौर शाखा में 2015 में सृजन के नाम से बचत खाता जब खुला ही था, तो फिर मार्च 2016 में खलीफाबाग शाखा में चालू खाता क्यों खुला? सृजन के खातों को लेकर एक कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
डीएम के स्टेनो का कारनामा : भू-अर्जन कार्यालय से स्थायी बाइपास की फाइल गायब
जिला प्रशासन के पास सृजन घोटाला से जुड़ा एक और अहम दस्तावेज नहीं हैं. यह दस्तावेज स्थायी बाइपास के लिए भूमि अर्जन की मूल फाइल है. इसमें बाइपास निर्माण से संबंधित 32 मौजा की जमीन का नक्शा सहित अन्य चीजें दर्ज हैं. भू-अर्जन कार्यालय में स्थायी बाइपास की उक्त मूल फाइल का अता-पता नहीं है, जिसको लेकर पदाधिकारी भी पसोपेश में हैं. रोचक है कि यह फाइल डीएम के स्टेनो रहे प्रेम कुमार ने तत्कालीन डीएम डॉ वीरेंद्र यादव के समय भू-अर्जन कार्यालय से मंगवायी थी. मगर कुछ दिनों के बाद उक्त डीएम का तबादला हो गया. तबादले के बाद दोबारा भू-अर्जन कार्यालय में प्रेम कुमार ने स्थायी बाइपास की मूल फाइल नहीं लौटायी. जब भू-अर्जन कार्यालय से मूल फाइल प्रेम कुमार से मांगी गयी, तो वह टालमटोल करता रहा. बताया जाता है कि सीबीआइ भी सृजन घोटाला में पूर्व भू-अर्जन पदाधिकारी की संलिप्तता जांच में स्थायी बाइपास की भूमि अर्जन प्रक्रिया को खंगाल रही है. इसमें स्थायी बाइपास की मूल फाइल तलाश रही है.
केपी रमैया के सृजन में खोलने वाले खाते के निर्देश की फाइल गायब : सृजन समिति को मालामाल करनेवाले तत्कालीन डीएम केपी रमैया के उस आदेश की मूल फाइल गायब है, जिसमें प्रशासन ने सभी सरकारी विभाग को सृजन महिला विकास सहयोग समिति में सरकारी राशि को जमा करने का आदेश दिया था. डीआरडीए की विकास शाखा के माध्यम से निकले आदेश संबंधी फाइल का नंबर तो चढ़ा है. मूल फाइल का अता-पता नहीं है.
नहीं मिली जमा राशि वापस, तो सृजन के गेट पर कर लूंगी आत्मदाह
सृजन में कई ग्रामीण महिलाओं ने अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई के पैसे भी जमा कराये थे. ये पैसा उनको वापस मिलेगा या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है. ऐसी महिलाएं कई दिनों से सृजन का चक्कर काट रहीं हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है. भागलपुर आये राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से भी ये महिलाएं मिली थी, ताकि उनकी मेहनत की कमाई उन्हें वापस मिल सके. किसी ने बच्चों को पढ़ाई के लिए तो किसी ने बेटी की शादी के लिए तो किसी ने अपने बुढ़ापे के सहारे के लिए जीवन भर की कमाई जमा करा थी. अब उनको कुछ उपाय नहीं दिख रहा है. महिलाओं ने कहा कि यदि उनकी जाम राशि वापस नहीं की गयी, तो वे लोग सामूहिक रूप से सृजन गेट के सामने आत्मदाह करेंगी.
महिलाओं ने बताया अपना दर्द : प्रखंड क्षेत्र के मिर्जापुर की नागेंद्र यादव की पत्नी मंजू देवी सृजन के पासबुक खाता संख्या 3818, सिकन्दर यादव की पत्नी कल्पना देवी खाता संख्या 4775, उपेंद्र यादव की पत्नी फूलन देवी खाता नं. जे ओ /645, प्रकाश यादव की पत्नी रूबी देवी खाता नं. जे ओ /695, मोकल यादव की पत्नी राधा देवी खाता संख्या जे ए / 645 सहित दर्जन भर से ज्यादा महिलाओं ने सृजन द्वारा निर्गत अपना पासबुक दिखाते हुए बताया कि सभी की 20 हजार से एक लाख तक से ज्यादा राशि जमा है. यदि पैसा नहीं मिला तो हम बर्बाद हो जायेंगे. मंजू देवी ने कहा कि हम तो एक लाख फिक्स किये हैं. हम महिलाओं के पास जो जमा पूंजी था सब सृजन में जमा कर दिया. बेटी सयानी है, कैसे उसका विवाह होगा. कैसे पढ़ेंगे बच्चे. कैसे कटेगी जिंदगी. हम बीमार होंगे तो कहां से करा सकेंगे इलाज. महिलाएं ये कहते हुए फफक फफक कर रो पड़ी. महिलाओं ने कहा कि सृजन महाघोटाला हुआ इसमें हम गरीब महिलाओं का कसूर क्या है. हमने तो विश्वास कर अपने जीवन भर की कमाई जमा कर दी थी.
सीबीआइ ने भू अर्जन पदाधिकारी जितेंद्र प्रसाद साह से घंटों की पूछताछ
सृजन घोटाले में सीबीआइ ने मंगलवार को जिला भू अर्जन पदाधिकारी जितेंद्र प्रसाद साह से उनके कार्यालय और बाद में सर्किट हाउस में घंटों पूछताछ की. पूछताछ के दौरान सीबीआइ ने भू अर्जन के खाते से हुई अवैध निकासी को लेकर कई तरह के कागजात मांगे. इन कागजात की स्कैनिंग भू अर्जन कार्यालय में देर रात तक हुई. तमाम रिपोर्ट की हार्ड कॉपी और ई-मेल के माध्यम से सीबीआइ को भेजी जायेगी. फिलहाल भू-अर्जन में महालेखाकार की टीम भी करीब 32 परियोजनाओं की पड़ताल कर रही है. इसमें परियोजना को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के आये बजट और उसके खर्च ब्योरा की जांच हो रही है. सुबह 10.30 के करीब ही सीबीआइ अधिकारी भू अर्जन कार्यालय आ गये. बताया गया कि भू अर्जन के खाते में हुई निकासी में सबसे अधिक बजट पीरपैंती पावर प्रोजेक्ट का ही गया है. पावर प्रोजेक्ट को लेकर जमीन अधिग्रहण से लेकर मुआवजा वितरण की तमाम बारीकी को सीबीआइ अधिकारी ने समझा और उनसे संबंधित कागजात भी देखे. सीबीआइ भी लंबे समय तक चल रहे प्रोजेक्ट को लेकर हतप्रभ थी. सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ द्वारा भू अर्जन संबंधी मामले की जांच में कुछ कागजात चाहिए, जो कि उन्हें नहीं मुहैया हो सके.
आम लोगों की मदद से ढूंढे जायेंगे पूर्व भू-अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह
सृजन घोटाले में वारंटी पूर्व भू-अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह आम लोगों की मदद से ढूंढे जायेंगे. जिला प्रशासन के माध्यम से सामान्य प्रशासन को उक्त पदाधिकारी के खिलाफ इश्तहार छपवाने का पत्र भेजा जा रहा है. प्रशासनिक स्तर पर 31 अगस्त को राजीव रंजन सिंह बतौर जिला लोक शिकायत पदाधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हो गये. मगर उनकी सेवानिवृत्ति के बाद स्थानीय स्तर पर प्रभार सौंपने की प्रक्रिया अधूरी है. इधर, जिला प्रशासन ने लोक शिकायत कार्यालय में कामकाज को सुचारु करने के लिए कहलगांव के अनुमंडल लोक शिकायत पदाधिकारी चंद्रेशखर झा को अतिरिक्त प्रभार दे दिया. अब सामान्य प्रशासन ने नया जिला लोक शिकायत पदाधिकारी रमण कुमार सिन्हा को नोटिफाइड किया है. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के तौर पर राजीव रंजन सिंह की तलाश एसआइटी ने सृजन घोटाले की जांच शुरू होते ही कर दी थी.
अधिकारी की पत्नी को सृजन से महंगी गाड़ी का गिफ्ट मिला!

सृजन महिला विकास सहयोग समिति, बैंकों और सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी राशि की धोखाधड़ी मामले में कुछ न कुछ नयी बातें सामने आ रही हैं. अब इस बात की चर्चा है कि एक अधिकारी की पत्नी को सृजन से एसयूवी गिफ्ट की गयी है. पटना मुख्यालय में इस बात की चर्चा जोरों पर है. आइएएस और आइपीएस लॉबी में उस अधिकारी के बारे में इशारे-इशारे में चर्चा हो रही है. वह अधिकारी कौन है और उनकी पत्नी को 25 लाख की गाड़ी क्यों गिफ्ट की गयी यह तो जांच का विषय है.

Next Article

Exit mobile version