सतीश झा वितीय सलाहकार से पहले अनुमंडल अंकेक्षण पदाधिकारी थे और ऑडिट के दौरान ही मनोरमा देवी के करीब आये थे. अनुमंडल अंकेक्षण पदाधिकारी से सेवानिवृत्ति होते ही मनोरमा देवी ने उन्हें अपनी संस्था में रख लिया. इस कारण मनोरमा देवी वित्तीय कामकाज में सतीश झा के सलाह को अहम मानती थी. एसआइटी पूछताछ में सतीश झा ने बताया था कि कई सरकारी विभाग के पदाधिकारी, कर्मी को मनोरमा देवी ने वित्तीय गबन में मिला रखा था. इस कारण सरकारी राशि का सृजन संस्था के खाते में हस्तांतरण करके गबन कर लिया गया.
गबन के खेल को लेकर संबंधित कर्मी को उनका हिस्सा दिया जाता था. पदाधिकारियों व कर्मियों को कितनी राशि कब पहुंचनी है, इसका पूरा हिसाब-किताब सतीश झा के पास ही रहता था. सरकारी राशि को