डिग्री का खुमार, गिर रहे नैतिक संस्कार

भागलपुर: विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्टूडेंट के नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है. यह खुलासा किया है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की संस्था डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (डीओपीटी) के नेशनल फेसिलेटर कम ट्रेनर (रिटायर्ड आइएएस) कृष्ण मोहन व मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के डायरेक्टर व फेसिलेटर प्राचीश खन्ना ने. उत्तरप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़, गोवा और श्रीनगर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2017 10:32 AM
भागलपुर: विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्टूडेंट के नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है. यह खुलासा किया है गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की संस्था डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (डीओपीटी) के नेशनल फेसिलेटर कम ट्रेनर (रिटायर्ड आइएएस) कृष्ण मोहन व मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के डायरेक्टर व फेसिलेटर प्राचीश खन्ना ने. उत्तरप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़, गोवा और श्रीनगर के दर्जनों विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों को नैतिकता का पाठ पढ़ा चुके कृष्ण मोहन व प्राचीश पहली बार बिहार आये हैं.

भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (बीसीइ) के फर्स्ट इयर के स्टूडेंट को नैतिकता का मंत्र बताने आये कृष्ण मोहन और प्राचीश के साथ प्रभात खबर ने खास बातचीत की. बीसीइ के न्योता देने वह यहां आये हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने भी नैतिकता में गिरावट की आहट को बखूबी समझा है. इसलिए डीओपीटी के माध्यम से ट्रेनिंग के लिए फेसलिटेटर चुने गये हैं.

दबाव नहीं भाव से आयेगा बदलाव: दबाव से नहीं भाव से स्टूडेंट में बदलाव आयेगा. उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों में गिरावट के कारण ही रैगिंग जैसी घटना होती है. स्टूडेंट के अंदर के भाव को जगा कर ही बदलाव लाया जा सकता है. इससे ही रैगिंग जैसी घटना रुकेगी.
पॉजिटिविटी-क्रिएटिविटी बदलाव के मंत्र
स्टूडेंट में बदलाव के भाव जगाने के लिए उन्होंने मंत्र भी बताये. पॉजिटिविटी, क्रिएटिविटी, एकाउंटेब्लिटी ये तीन अहम मंत्र हैं. स्टूडेंट अपनी गलतियों और कमियों का खुद आकलन कर इसे दूर कर सकते हैं. इसके लिए ग्रुप डिसकशन और ग्रुप एक्सरसाइज जरूरी है. इसे बताने के लिए वह 2-3 मिनट वाले वीडियो भी वह स्टूडेंट को दिखाते हैं.
समाज के हो कर्तव्य बोध
स्टूडेंट चाहे विवि के हों या फिर कॉलेजों के उन्हें यह याद रखना होगा कि उनके पढ़ने लिखने का मतलब उन तक सीमित नहीं है. परिवार, समाज और देश के प्रति उनके कर्तव्य हैं. कर्तव्य बोध के लिए नैतिकता की जरूरत है.
माता-पिता नहीं रहते याद
स्टूडेंट पढ़-लिखकर बड़े बन जाते हैं लेकिन माता-पिता व शिक्षक को वह भूल जाते हैं. घर से ही नैतिकता की शिक्षा मिलती है. जब मां-बाप याद नहीं रहेंगे तो फिर नैतिकता की याद कैसे रहेगी. झूठ का त्याग कर सच बोलना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version