नवगछिया छोड़ शहर में खाते खोलने के पीछे के कारणों की तलाश करेगी सीबीआइ
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नवगछिया नहीं, भागलपुर में खोला खाता, लुटा दिया खजाना
नवगछिया छोड़ शहर में खाते खोलने के पीछे के कारणों की तलाश करेगी सीबीआइ भागलपुर : नवगछिया प्रखंड ने अपने सरकारी खाता (736378714) को इंडियन बैंक, भागलपुर में 29 जून 2007 को खोला और यह घोटाले से लिप्त घोटालेबाजों के हाथ में चला गया. नवगछिया में कई बैंक रहते हुए तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी की […]
भागलपुर : नवगछिया प्रखंड ने अपने सरकारी खाता (736378714) को इंडियन बैंक, भागलपुर में 29 जून 2007 को खोला और यह घोटाले से लिप्त घोटालेबाजों के हाथ में चला गया. नवगछिया में कई बैंक रहते हुए तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी की ऐसी कौन सी मजबूरी रही, जिससे कि नवगछिया छोड़ भागलपुर में इंडियन बैंक में खाता खोलना पड़ा? क्या तत्कालीन बीडीओ ने भी सृजन के राज को जान लिया था और मनोरमा देवी के गुटों ने उनको अपना मेहरबां बना लिया. ऐसे ढेरों सवाल उठ रहे हैं.
सूत्रों की मानें, तो नवगछिया छोड़ शहर में खाता खोलने के पीछे के कारणों को सीबीआइ तलाश करेगी. दरअसल, प्रखंड कार्यालय, नवगछिया से चेक पंजी व रोकड़ पंजी के आधार पर चार करोड़ 62 लाख 83 हजर रुपये इंडियन बैंक, भागलपुर में जमा किये गये, जो पासबुक में भी दर्ज है. लेकिन, अद्यतन ट्रांजेक्शन रिपोर्ट में इसकी इंट्री नहीं है,
जो बैंक खाते में जमा होने चाहिए थे. जांच के क्रम में पाया गया है कि प्रखंड कार्यालय से इंडियन बैंक को 28 चेक प्राप्त कराया गया और इसका उल्लेख चेक पंजी में दर्ज है. मजे की बात यह है कि उक्त राशि और सूद की राशि मिला कर पांच करोड़ 80 हजार 496 रुपये थी, जिसकी निकासी कर ली गयी और 16 जून 2011 को खाता बंद कर दिया गया है. पासबुक एवं स्टेटमेंट में 22 नवंबर 2010 में 30 लाख 50 हजार 400 रुपये अंकित किया गया है लेकिन यह राशि कार्यालय से जमा नहीं की गयी है और 23 नवंबर 2010 को बैंक द्वारा इस राशि की निकासी भी कर ली गयी है. इस राशि के चेक क्लियरेंस में 1025 रुपये कटौती भी की गयी है.
ऐसे रखा शासन-प्रशासन को अंधेरे में
प्रखंड नजारत का महालेखा परीक्षक व फाइनेंसियल ऑडिट टीम द्वारा भी बैंक के अद्यतन पासबुक का मिलान किया जाता रहा है, जिसमें किसी प्रकार का अंतर नहीं रहा है. इस खाता से निर्गत कोई भी चेक कभी भी डिसॉनर्ड नहीं हुआ है. इस प्रकार बैंक द्वारा प्रशासन को अंधेरे में रखते हुए और मांगे जाने पर जाली पासबुक स्टेटमेंट उपलब्ध करा जालसाजी को अंजाम देने की कोशिश की गयी है.
इंडियन बैंक, भागलपुर द्वारा सरकारी खाता में जमा नहीं किये गये चेक
02 फरवरी 2008 : 01 करोड़ रुपये
07 फरवरी 2008 : 15 लाख 11 हजार 494 रुपये
05 फरवरी 2008 (कैश) : एक लाख एक हजार 792 रुपये
05 अगस्त 2008 (कैश) : एक लाख 48 हजार 306 रुपये
05 अक्तूबर 2008 (कैश) : 23 लाख सात हजार 75 रुपये
13 अगस्त 2008 : आठ लाख 47 हजार रुपये
17 सितंबर 2008 : 74 हजार 580 रुपये
17 सितंबर 2008 : एक लाख 22 हजार 760 रुपये
18 सितंबर 2008 : 69 हजार 930 रुपये
18 सितंबर 2008 : 12 हजार 960 रुपये
18 सितंबर 2008 : पांच हजार 400 रुपये
18 सितंबर 2008 : चार लाख 16 हजार 340 रुपये
23 सितंबर 2008 : तीन लाख 36 हजार रुपये
31 सितंबर 2008 : दो लाख 50 हजार रुपये
01 अक्तूबर 2008 : 40 लाख 34 हजार रुपये
12 नवंबर 2008 : चार लाख 56 हजार रुपये
04 दिसंबर 2008 : 12 लाख 60 हजार रुपये
04 दिसंबर 2008 : 50 हजार रुपये
20 दिसंबर 2008 : चार लाख छह हजार 431 रुपये
24 दिसंबर 2008 : एक लाख रुपये
02 जनवरी 2009 : एक लाख 50 हजार
26 फरवरी 2009 : दो लाख 90 हजार रुपये
05 सितंबर 2009 : एक लाख रुपये
05 सितंबर 2009 : दो लाख 50 हजार रुपये
03 फरवरी 2010 : 27 लाख 65 हजार रुपये
13 अप्रैल 2010 : नौ लाख 10 हजार रुपये
18 मई 2010 : 27 लाख 87 हजार 600 रुपये
13 जुलाई 2010 : 50 लाख 85 हजार रुपये
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