गोपालपुर : सूबे के मुख्यमंत्री की नजरों में धरहरा एक आदर्श गांव है. लेकिन, यहां की याद नेताओं से लेकर प्रशासनिक पदाधिकारियों को हर वर्ष मुख्यमंत्री के आगमन के दौरान ही आती है. उनके आगमन के दौरान प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा सरकारी योजनाओं का लाभ देने की बात तो खूब की जाती है, लेकिन बाद में सबकुछ भुला दिया जाता है. इस आदर्श गांव में भी समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं.
विशेष बच्चियों के लिए भी कोई सुविधा नहीं : धरहरा में अब तक जिन बच्चियों के जन्मदिन पर मुख्यमंत्री ने पौधरोपण किया, उनके लिए भी कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गयी है. वर्ष 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री घोषणा की थी कि धरहरा में छह शय्या वाला अस्पताल का निर्माण कराया जायेगा, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि धरहरा गांव में अस्पताल रहता, तो शायद रानी की मौत नहीं होती. गांव से गोपालपुर पीएचसी की इतनी दूरी है जितनी कि नवगछिया की है. अस्पताल दूर रहने के कारण ही लोग झोला छाप डॉक्टर व नीम-हकीम से इलाज कराने को विवश होते हैं.
किलकारी केंद्र में नहीं मिलता पौष्टिक आहार : गांव के किलकारी केंद्र में 100 छात्रएं नामांकित हैं. छात्रओं की शिकायत है कि उन्हें हरी सब्जी व पौष्टिक आहार जैसे दूध, फल आदि नहीं दिये जाते. छात्र लक्ष्मी, निशा, शबनम, लूसी आदि ने कहा कि सिर्फ शनिवार को खीर दी जाती है. कुछ बच्चों में कमजोरी के लक्षण भी दिखे. यहां पेयजल की व्यवस्था भी ठीक नहीं है. हालांकि वार्डन इंद्राणी सिंहा कहती हैं कि वह व्यवस्था में सुधार लाने को लेकर प्रयासरत हैं.