नारियल, कवरंगा व टाभा से पटा बाजार, फिर भी महंगाई की मार

भागलपुर: एक ओर जहां आस्था के महापर्व छठ को लेकर बाजार सज चुका है, वहीं दूसरी ओर फल बाजार नारियल, टाभा व कवरंगा से पट चुका है. बाजार में खरीदारों की भीड़ जुट चुकी है. इस बार नारियल व कवरंगा पर महंगाई की मार है. 10 करोड़ के उतरे नारियल : शहर में जगह-जगह नारियल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2017 11:25 AM
भागलपुर: एक ओर जहां आस्था के महापर्व छठ को लेकर बाजार सज चुका है, वहीं दूसरी ओर फल बाजार नारियल, टाभा व कवरंगा से पट चुका है. बाजार में खरीदारों की भीड़ जुट चुकी है. इस बार नारियल व कवरंगा पर महंगाई की मार है.
10 करोड़ के उतरे नारियल : शहर में जगह-जगह नारियल की अलग दुकानें खुल चुकी है. फुटपाथ पर भी नारियल, कवरंगा व टाभा की दुकानें खुल गयी है. इस बार नारियल आंध्रप्रदेश,केरल, पश्चिम बंगाल एवं असम से भागलपुर में 10 करोड़ के नारियल उतरे हैं. कारोबारियों की मानें तो पिछले वर्ष से इस वर्ष नारियल की फसल अच्छी नहीं हुई. इससे 20 फीसदी तक नारियल पर महंगाई की मार है.

नारियल के थोक कारोबारी बताते हैं भागलपुर में असम के नौगांव एवं आंध्रप्रदेश सोनपिता से नारियल लदी 250 से अधिक गाड़ियां आयी हैं, जो भागलपुर जिले के अलावा बांका, अमरपुर आदि क्षेत्रों में सप्लाइ होती है. उन्होंने बताया एक गाड़ी में 9000 से 18000 पीस तक नारियल आते हैं. इस बार थोक में 2800 से 2000 रुपये प्रति सैकड़ा है, जबकि पिछले वर्ष यही नारियल 2100 रुपये प्रति सैकड़ा बड़ा नारियल व 1500 रुपये प्रति सैकड़ा छोटा नारियल आया था. खुदरा दुकानदार ने बताया कि यहां पर 20 गाड़ी नारियल आये हैं, जबकि मांग के अनुसार और मंगाया जायेगा. एक गाड़ी में 15 हजार से अधिक पीस तक नारियल आते हैं. पिछले वर्ष जो नारियल 40, 60 और 80 रुपये जोड़ा नारियल मिल रहा था, वहीं नारियल 70, 80 व 100 रुपये जोड़ा नारियल मिल रहा है.


ट्रांसपोर्टर प्रतिनिधि मदन चौधरी ने बताया कि अधिकतर नारियल दक्षिण भारत से आते हैं. भागलपुर में दक्षिण भारत से ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है. यहां के व्यापारी आंध्र प्रदेश आदि क्षेत्रों से लोकल ट्रक बुक कराकर लाते हैं. इस बार मांग के मुताबिक नारियल नहीं आया है. साथ ही नारियल की फसल ठीक नहीं रहा.
अपना केला बना घर की मुर्गी दाल बराबर
छठ त्योहार में केला की मांग कम नहीं रहती है. एक-एक व्रती तो पूरा खानी को चढ़ावा में रखते हैं. इसके बाद भी इसका मूल्य नहीं मिल पा रहा है. चूंकि भागलपुर के केला को बाजार नहीं मिल पाया है. अब भी 10 से 25 रुपये दर्जन ही बिक रहे हैं. वहीं बाहरी केला 40 से 50 रुपये दर्जन बिक रहे हैं. लोगों का कहना है कि यह घर की मुर्गी दाल बराबर हो गया है. चूंकि यह नवगछिया, बिहपुर आदि क्षेत्रों से आसानी से उपलब्ध हो जाता है. न अधिक ट्रांसपोटिंग खर्च लगता है और न ही टैक्स.

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