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1996 से सीताराम के लौटने का इंतजार कर रही बूढ़ी मां

भागलपुर : मदारगंज गांव के रहनेवाले सीताराम झा का इंतजार आज भी उनकी बूढ़ी मां कर रही हैं. इकलौते बेटे के आने की आज भी उन्हें आस है. वर्ष 1996 में सीताराम अपने घर से पंजाब कमाने के लिए चले गये थे. वहां भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के समीप वह खेत पर काम कर रहे थे. इसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2017 5:45 AM

भागलपुर : मदारगंज गांव के रहनेवाले सीताराम झा का इंतजार आज भी उनकी बूढ़ी मां कर रही हैं. इकलौते बेटे के आने की आज भी उन्हें आस है. वर्ष 1996 में सीताराम अपने घर से पंजाब कमाने के लिए चले गये थे. वहां भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के समीप वह खेत पर काम कर रहे थे. इसी दौरान पाकिस्तान की सीमा में चले गये और पाकिस्तान की सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

पाकिस्तान द्वारा भारत से सीताराम के सत्यापन करने के बाद 31 अगस्त 2004 को पाकिस्तान ने बाघा बॉर्डर पर उसे छोड़ दिया था. लेकिन आज तक सीताराम घर नहीं लौटा. सीताराम की मां अपने परिजनों के साथ कई बार विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, स्थानीय जनप्रतिनिधि व पदाधिकारी से गुहार लगायी, लेकिन गरीब और लाचार मां की फरियाद नहीं सुनी गयी.

सुलतानगंज. खानपुर पंचायत के माल खानपुर का लंकेश कुमार मंडल सऊदी अरब में फंसा हुआ है. वहां वह अपने घर आने के लिए तड़प रहा है, तो यहां उसकी पत्नी पूजा कुमारी बेचैन है. पूजा ने कहा कि पति से बात होती है. वह काफी परेशानी में हैं. गुरुवार की शाम भी उनसे बात हुई. उन्होंने मुझसे कहा, कि दिल्ली जाने के बाद ही कोई रास्ता निकल सकता है.
लेकिन, मेरे पास दिल्ली जाने को पैसे भी नहीं हैं. कर्ज में डूबी हुई हूं. पति को सऊदी अरब में 40 हजार रुपये प्रतिमाह पगार मिलने की बात हुई थी. उनके वहां जाने के लिए हमने एक लाख 20 हजार रुपया कर्ज लिया था. 13 माह पहले वह गये थे. अबतक सिर्फ 40 हजार रुपये ही भेजे हैं. अब तो वहां से उन्हें आने भी नहीं दिया जा रहा है. अभी भी हमारे ऊपर 70 हजार रुपये का कर्ज है. कैसे कर्ज चुकाऊं. गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो गया है. हर जगह पति को वतन वापस लाने की गुहार लगा चुकी हूं. कोई सहारा नहीं मिल रहा है.

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