गांव के दूसरे युवकों में आक्रोश, खोज रहे पिक्कू झा को

नवगछिया : चारों युवकों के लापता होने के बाद से ही गांव के युवकों में काफी आक्रोश है. गांव के युवक पिक्कू झा को ढ़ूढ़ रहे हैं. युवकों का कहना है कि अगर पिक्कू मिल जाये तो उसे वे लोग खुद सबक सिखा देंगे. फिलहाल पिक्कू अपने घर फरार चल रहा है. गांव के युवकों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2017 5:26 AM

नवगछिया : चारों युवकों के लापता होने के बाद से ही गांव के युवकों में काफी आक्रोश है. गांव के युवक पिक्कू झा को ढ़ूढ़ रहे हैं. युवकों का कहना है कि अगर पिक्कू मिल जाये तो उसे वे लोग खुद सबक सिखा देंगे. फिलहाल पिक्कू अपने घर फरार चल रहा है. गांव के युवकों का कहना है कि खास कर गौरीपुर एक ऐसा गांव हैं जहां पढ़ाई लिखाई के साथ साथ खेल का अच्छा माहौल है. इलाके का चर्चित सत्यदेव महाविद्यालय इसी गांव में है. जो वर्षों से इलाके के लिए पठन पाठन का केंद्र बना हुआ है.

शाम होते ही युवकों की टोली गांव में जुटने लगती है और वॉलीबॉल कोर्ट में गांव के अलग अलग वर्गों के कई टीमें खेलती है. आर्मी की तैयारी करने वाले भी सुबह शाम एक साथ जुट कर तैयारी करते हैं. गांव के युवक संगठित हैं. ऐसे गांव में अगर कोई अपराध के बीच को बोना चाहेगा तो निश्चित ही गांव के युवक विरोध करेंगे. गांव के ऐसे माहौल में अपराध या असामाजिक तत्वों की कोई जगह नहीं है. मालूम हो कि एक समय हुआ करता था जब गौरीपुर गांव अपराध में बुरी तरह से झुलस रहा था. गांव में ही कई अपराधी तैयार हो गये थे. विगत दो दशकों में कुछ अपराधी मारे गये तो कई ढ़ीले पड़ गये.

इसके बाद गांव के युवकों ने संगठित हो कर पठन पाठन और खेल के माहौल को स्थापित किया. लेकिन चार युवकों के लापता होने और हत्या की बात जगजाहिर होने के बाद लोग कहने लगे हैं कि न जाने किसी नजर इस गांव को लग गयी.

पूना में काम करता था प्रदीप, छठ में आया था घर : नरकटिया के शिव शंकर झा के पुत्र प्रदीप कुमार मैट्रिक की पढ़ाई पूरी कर पूना कमाने चला गया था. छठ में वह अपने घर आया था. छठ के बाद गांव में कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर में धूम धाम से पूजा होती है, इसलिए वह अब तक गांव में ही था. इसी बीच उसने एक नयी मोटरसाइकिल भी खरीद ली थी. परिजनों का कहना है कि प्रदीप अब शांत हो चुका था. उसमें अब लड़कपन नहीं रहा था. जब से वह कमाने लगा, दुनियादारी के बारे में भी बहुत कुछ समझने लगा था. प्रदीप के पिता शिवशंकर झा कृषक हैं और प्रदीप का बड़ा भाई दिलीप झा सुल्तानगंज में बिजली विभाग के कर्मी हैं. परिजनों का कहना है कि गांव में प्रदीप के कई दोस्त तो थे लेकिन लंद फंद से उसका कोई लेना देना नहीं था. लेकिन पुराने दोस्तों के लिए वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता था. जब प्रदीप ने पिछले दिनों ही नयी मोटरसाइकिल खरीदी तो वह काफी खुश था. लेकिन उसको क्या पता था कि यही मोटरसाइकिल उसके लिए काल बन जायेगा. प्रदीप के परिजन गहरे सदमे में हैं.

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