बदल रहा है मौसम, सांस के रोगी हो जायें सावधान
भागलपुर:माैसम में बदलाव से सांस के रोगियों की संख्या बढ़ी है. ठंड के समय गर्मी का एहसास होने से दमा-खांसी, ब्लड प्रेशर संबंधित बीमारी बढ़ रही है. वरीय चिकित्सकों के अनुसार इस समय सजग रहे लोग. वायरल फीवर का संक्रमण तेजी बढ़ रहा है. दमा-खांसी, ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाता है. हृदय रोग व लकवा […]
भागलपुर:माैसम में बदलाव से सांस के रोगियों की संख्या बढ़ी है. ठंड के समय गर्मी का एहसास होने से दमा-खांसी, ब्लड प्रेशर संबंधित बीमारी बढ़ रही है. वरीय चिकित्सकों के अनुसार इस समय सजग रहे लोग. वायरल फीवर का संक्रमण तेजी बढ़ रहा है. दमा-खांसी, ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाता है. हृदय रोग व लकवा की संभावना बढ़ जाती है.
घटेगा तापमान, खत्म हो जायेगा डेंगू : वरीय चिकित्सक डॉ डीपी सिंह ने बताया कि चिकनगुनिया और डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. अभी एक माह तक और डेंगू की शिकायत आयेगी. चिकनगुनिया में जोड़ में दर्द होता है, जबकि डेंगू में प्लेटलेट्स घट जाता है. तापमान घटेगा तो डेंगू स्वत: खत्म हो जायेगा. झारखंड के राजमहल, साहिबगंज, पाकुड़ क्षेत्र ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्र से भी डेंगू रोगी लगातार आ रहे हैं. चिकित्सकों के अनुसार शरीर को गर्म कपड़ों से ढकने की कोशिश करें. बाइक चलाने वालों को अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए. थोड़ा गर्म महसूस हो तो भी कपड़े में ही रहें.
असमय मौसम को कहेते हैं ट्रांजिशन फेज : चिकित्सकों का कहना है कि असमय मौसम को ट्रांजिशन फेज कहते हैं. शरद ऋतु में गर्मी पड़ने से मनुष्य के शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. ऐसा होने पर सरदर्द, तनाव, नाक से पानी, ब्रानकाइटिस, राइनाटिस का लक्षण दिखने लगता है. आदमी सुस्त व बीमार पड़ जाता है. काम करने में सुस्ती रहती है. जो दमा की बीमारी से ग्रसित रहते हैं, उसमें लक्षण तीव्र हो जाता है. इस तरह का प्रभाव प्रदूषण की वजह से हो रहा है. फिजिशियन डॉ कपिल कुमार सिंह ने बताया कि अधिकतर बुुजुर्गों को सांस की बीमारी हो रही है. दमा की परेशानी बढ़ गयी है. सामान्य मौसम का मजा लेने की बजाय सावधानी के लिए सुबह व शाम को गर्म कपड़ा जरूर पहनना चाहिए. स्नान करने में हल्का गर्म पानी का इस्तेमाल करना चाहिए. बीमार लोगों को चिकित्सक के अनुसार ही दवा लेनी चाहिए.
80 फीसदी बच्चे निमोनिया व कोल्ड डायरिया से ग्रस्त
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि अभी अधिकतर क्लिनिक व अस्पताल में बीमार बच्चों में ब्रांकियोलाइटिस-वायरल निमोनिया व कोल्ड डायरिया की शिकायत आ रही है. वायरल निमोनिया दो साल से नीचे के बच्चों में अधिक होता है. यह सर्दी-जुकाम से शुरू होता है. बच्चा हांफने लगता है. इसमें एंटीबाइटिक काम नहीं करता है. इनहेलर की जरूरत पड़ती है. अभिभावक को धैर्य बनाये रखना चाहिए. कोल्ड डायरिया में ओआरएच व जिंक पिलाना चाहिए. एक छोटा पैकेट ओआरएच एक ग्लास पानी में डालकर हर लैट्रिन के बाद दें.