पकड़े गये मजदूर रिहा एमओ ने नहीं दिया आवेदन

भागलपुर. अलीगंज स्थित एक गोदाम पर शनिवार को दोपहर बाद एसडीओ सुहर्ष भगत व डीएसपी सिटी शहरियार अख्तर द्वारा की गयी छापेमारी में गिरफ्तार चार लोगों को पूछताछ के बाद बबरगंज पुलिस ने रिहा कर दिया. बबरगंज ओपी के जेएसआइ हारून मुस्ताक ने रिहा करने की पुष्टि करते हुए कहा कि सप्लाई डिपार्टमेंट के मार्केटिंग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2017 12:12 PM
भागलपुर. अलीगंज स्थित एक गोदाम पर शनिवार को दोपहर बाद एसडीओ सुहर्ष भगत व डीएसपी सिटी शहरियार अख्तर द्वारा की गयी छापेमारी में गिरफ्तार चार लोगों को पूछताछ के बाद बबरगंज पुलिस ने रिहा कर दिया. बबरगंज ओपी के जेएसआइ हारून मुस्ताक ने रिहा करने की पुष्टि करते हुए कहा कि सप्लाई डिपार्टमेंट के मार्केटिंग ऑफिसर द्वारा आवेदन पत्र नहीं दिये जाने के कारण आरोपितों पर मुकदमा नहीं दर्ज किया जा सका है. उनके द्वारा आवेदन दिये जाने पर मुकदमा दर्ज किया जायेगा.

1817 बोरा में मिला 931 क्विंटल चावल
अलीगंज में शनिवार को सदर एसडीओ सुहर्ष भगत व डीएसपी सिटी शहरयार अख्तर की टीम के द्वारा शनिवार को दो निजी गोदाम में छापामारी के दौरान सैकड़ों बोरा चावल जब्त किया गया था. खाद्य आपूर्ति विभाग के द्वारा रविवार को जब्त बोरे की गिनती के अलावा इसका वजन करवाया गया. बड़े गोदाम से 1798 जबकि दूसरे गोदाम से 19 बोरा चावल जब्त किया गया. कुल 1817 बोरा में 931 क्विंटल चावल का वजन हुआ. सहायक आपूर्ति पदाधिकारी चंद्रभूषण सिंह के अलावा एसओ नाथनगर रजनीश झा व शाहकुंड एसओ विभूति कांत रविवार को गोदाम मेें थे.
अनाज की कालाबाजारी का अंतरराज्यीय रैकेट
भागलपुर से अनाज की कालाबाजारी का अंतरराज्यीय रैकेट चल रहा है. अलीगंज अनाज की कालाबाजारी का अड्डा बन गया है. यहां कई और गोदाम में कालाबाजारी का खेल चल रहा है. सूत्रों की मानें तो अलग-अलग सरकारी योजनाओं के अनाज को भी ऐसे गोदामों तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद रीपैकेजिंग कर यहां से अनाज दूसरे राज्यों में भी भेजे जाते हैं. गोदाम से री पैकेजिंग करने वाली मशीन, बोरी सिलने की सुतली और तराजू का मिलना कालाबाजी के इस खेल की हकीकत को बयां करता है. गोदाम में बोरे में सरकारी सील तो नहीं मिला लेकिन बिहार राज्य खाद्य निगम का लोगो लगा हुआ था है. सरकारी चावल को सरकारी बोरे से निकाल कर उसे सामान्य प्लास्टिक के बोरे में डालकर दोबारा पैकिंग कर दी जाती है ताकि किसी को शक न हो. ऐसे में सप्लाई विभाग और एसएफसी पर भी सवाल उठ सकते हैं.

Next Article

Exit mobile version