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UP ATS ने छद्म नाम से जालसाजी करनेवाले भागलपुर के कामराज को किया गिरफ्तार

भागलपुर / लखनऊ : भागलपुर निवासी कामरान रजा को उत्तर प्रदेश के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) और स्थानीय पुलिस ने जालसाजी करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. बताया जाता है कि कामरान रजा ने अपना नाम बदल कर अविनाश कुमार सिंह रख लिया है. वह खुद को स्टेट बैंक का प्रबंधक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2018 3:17 PM

भागलपुर / लखनऊ : भागलपुर निवासी कामरान रजा को उत्तर प्रदेश के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) और स्थानीय पुलिस ने जालसाजी करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. बताया जाता है कि कामरान रजा ने अपना नाम बदल कर अविनाश कुमार सिंह रख लिया है. वह खुद को स्टेट बैंक का प्रबंधक बता कर जालसाजी को अंजाम देता था. जानकारी के मुताबिक, खुद को स्टेट बैंक का प्रबंधक बताकर जालसाजी करने के आरोपित बिहार के भागलपुर निवासी कामरान रजा को उत्तर प्रदेश के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) और स्थानीय पुलिस ने वाराणसी में गिरफ्तार किया है.

इस संबंध में एटीएस के महानिरीक्षक असीम अरुण ने मंगलवार को यहां बताया कि वाराणसी पुलिस तथा उत्तर प्रदेश एटीएस की संयुक्त कार्रवाई में छद्म नाम का इस्तेमाल करके जालसाजी करनेवाले कामरान रजा नामक व्यक्ति को सोमवार की रात को गिरफ्तार किया गया. वह बिहार के भागलपुर का निवासी है. कामरान रजा ने अपना नाम अविनाश कुमार सिंह बताकर वाराणसी जेल के पास किराये पर एक मकान ले रखा था. वह खुद को स्टेट बैंक का प्रबंधक बताता था. उसकी गतिविधियां संदिग्ध होने की सूचना मिलने पर एटीएस ने जांच की. इस दौरान पता लगा कि उसका असली नाम कामरान रजा है और वह काफी शाहखर्ची और ऐश-ओ-आराम की जिंदगी गुजारता था. उसके पास लग्जरी गाड़ियां भी हैं. यह भी पाया गया कि वह किसी बैंक का शाखा प्रबंधक नहीं है.

एटीएस के महानिरीक्षक ने बताया कि रजा लोगों को धोखा देने एवं ठगी करने के लिए खुद को एसबीआई का प्रबंधक बताता था. साथ ही जाली परिचय-पत्र दिखा कर लोगों को प्रभाव में ले लेता था. जांच में उसका कई लड़कियों से संबंध तथा उनसे मोबाइल फोन पर लंबी-लंबी बात करने की बात सामने आयी है. उन्होंने बताया कि रजा ने पूछताछ के दौरान ठगी में लिप्त होने की बात कुबूल की है. उसके खिलाफ वाराणसी के शिवपुरी थाने में उपयुक्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. यह पता लगाया जा रहा है कि रजा आखिर वाराणसी जेल के पास छद्म नाम से क्यों रह रहा था और जेल में बंद किसी अपराधी से कहीं इसका कोई संबंध तो नहीं है.

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