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शहर में आवारा कुत्तों का बढ़ा आतंक

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By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2018 5:20 AM

मायागंज अस्पताल में सामान्य दिनों से तीन गुना ज्यादा आ रहे हैं कुत्ता काटने के मरीज

भागलपुर : शहर में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ गया है. कुत्ते ज्यादा आक्रामक भी हो गये हैं. आवारा कुत्तों की संख्या भी काफी बढ़ गयी है. फिर भी इसे नियंत्रित करने का कोई उपाय नहीं किया जा रहा है. नगर निगम इस मामले में बिल्कुल फेल है. दूसरी तरफ लोगों की परेशानी काफी बढ़ गयी है. रात 10 बजे के बाद कुत्तों का यह हमला और बढ़ जाता है. सड़क पर चलते या शहर से गुजरते हुए कुत्ते कहां आप पर हमला कर दें, कहना मुश्किल है. खासकर ठंड में कुत्ते और आक्रामक हो गये हैं. स्थानीय लोगों की भाषा में कहें तो कुत्ते पगला गये हैं. इस समस्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मायागंज अस्पताल की ओपीडी में कुत्ता काटने के मरीज तीन गुना बढ़ गये हैं. इतना ही नहीं ठंड में बंदर और बिल्ली के काटने के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है.
नगर निगम नहीं कर रहा कोई उपाय, बताया फंड की है कमी
सामान्य दिनों में 20 से 30 मरीज कुत्ता काटने के आते थे. लेकिन हाल के दिनों में यह बढ़ कर 90 से 100 हो गया. मायागंज अस्पताल में संबंधित विभाग की प्रभारी डॉ विभा चौधरी ने बताया कि ठंड के दिनों में कुत्ते के बच्चों का जन्म होता है. पिल्ले की सुरक्षा के लिए उसकी मां राहगीरों को काट लेती है. साथ ही ठंड का असर भी कुत्ते पर होता है. आवारा कुत्ताें के काटने पर पांच दिन एंटी रैबिज वैक्सिन सुई लेना पड़ती है. तुरंत आने पर टेटनेस की सुई लगती है. पालतू कुत्ता के काटने पर तीन सुई लगाना पर्याप्त है. साथ ही कुत्ता जीवित रहे तो और बेहतर है.
आवारा कुत्ते को नियंत्रित करना नगर निगम का काम है. शहर में कुत्ताें की संख्या बढ़ गयी है. पालतू पशुओं को भी कुत्ते काट रहे हैं. प्रतिदिन 20 से 30 पालतू पशु का इलाज हो रहा है.
डॉ ध्रुव नारायण सिंह, जिला पशुपालन पदाधिकारी, भागलपुर
दो साल पहले निर्देश आया था. कुत्ते को पकड़ना था. जनसंख्या नियंत्रण करना था. वैक्सिन भी देना था. लेकिन इसके लिए काम बीच में ही अटक गया. फंड भी नहीं मिला.
महेश प्रसाद, स्वास्थ्य शाखा प्रभारी, नगर निगम
कहलगांव व नवगछिया में है दवा की कमी
संबंधित विभाग की चिकित्सक डॉ विभा पांडेय ने बताया कि नवगछिया व कहलगांव पीएचसी में एंटी रैबिज वैक्सिन दवा की कमी है. इस कारण मायागंज अस्पताल आकर इलाज कराते हैं.
पटना की बैठक में की थी मांग
पशु शल्य चिकित्सक डॉ राजेंद्र कुमार ने बताया कि 27 दिसंबर को पटना में आयोजित पशु शल्य चिकित्सक की मीटिंग में कुत्ते को पड़ने वाला एंटी रैबिज वैक्सिन उपलब्ध कराने की मांग की थी.
पालतू पशु भी हो रहे हैं कुत्ता काटने के शिकार
जिला पशुपालन विभाग के डॉ अनिल कुमार ने बताया कि जिले के किसी पशु चिकित्सालय में एंटी रैबिज वैक्सिन उपलब्ध नहीं है. जिले में प्रतिदिन 20 से 25 पालतू पशु जैसे बकरी, गाय, बाछा, बाछी आदि कुत्ता काटने से घायल होते हैं. इन पशुओं का इलाज पशु चिकित्सालय में होता है, लेकिन पशुपालकों को खुद के पैसे से एंटी रैबिज वैक्सिन खरीदनी पड़ती है.

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