किसने जमा किया, किसने निकासी किया, खोजे जा रहे तार

भागलपुर : वैसे तो सृजन घोटाला मामले में कई निजी और सरकारी बैंक खातों की जांच चल रही है. लेकिन जांच के दौरान एक ही फ्लैट से मिले 11 बैंक खाते जांच अधिकारियों के लिए अहम माने जा रहे हैं. ये खाते पर्दे के पीछे छिपे उन लोगों तक जांच अधिकारियों को पहुंचा सकते हैं, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2018 5:00 AM

भागलपुर : वैसे तो सृजन घोटाला मामले में कई निजी और सरकारी बैंक खातों की जांच चल रही है. लेकिन जांच के दौरान एक ही फ्लैट से मिले 11 बैंक खाते जांच अधिकारियों के लिए अहम माने जा रहे हैं. ये खाते पर्दे के पीछे छिपे उन लोगों तक जांच अधिकारियों को पहुंचा सकते हैं, जिनसे लोग अंजान हैं या फिर उनमें कुछ लोगों को जानने के बाद भी कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा है.

सृजन घोटाला मामले की जांच वर्तमान में सीबीआइ कर रही है. जेल में बंद इस घोटाले के आरोपित पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी के आय से अधिक संपत्ति की जांच विजिलेंस इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो कर रही है. इन दोनों जांच एजेंसी द्वारा जांच करने से पहले आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने अरुण कुमार के फ्लैट को खंगाला था. यह पटना के उत्तरी श्रीकृष्णापुरी में भगवान कुंज अपार्टमेंट स्थित 205 नंबर का फ्लैट है. सूत्र बताते हैं कि इसमें इओयू टीम को 11 बैंक खाते मिले थे.

इनमें अधिकतर खाते अरुण कुमार के नाम से है. इन खातों के तार सृजन घोटाले से जुड़े हैं या फिर कहीं और से, इसकी पड़ताल चल रही है. आखिर बैंकों में इतने खाते खोलवाने की अरुण कुमार को क्यों जरूरत पड़ी, इसकी भी जांच की जा रही है.

सृजन से जुड़े खाते से किये जा रहे मेल. सूत्र बताते हैं कि उक्त 11 बैंक खाते में कब-कब पैसे जमा हुए. इन खातों से कब-कब पैसे की निकासी की गयी. दूसरी ओर सृजन घोटाला जिन सरकारी बैंक खातों से हुआ है, उनसे कब-कब जमा-निकासी की गयी. इसको मेल कर यह देखा जा रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं सरकारी खाते से राशि की निकासी के दिन ही उक्त 11 में से किसी खाते में मोटी रकम जमा भी हो गयी. वैसे लोगों की भी पड़ताल चल रही है, जो जमा-निकासी में संलिप्त हो सकते हैं. इन बैंक खातों में लाखों रुपये जमा मिले हैं.
निदेशक मंडल की बैठक में घोटाले की राशि रिकवरी पर हो सकता है निर्णय. दी भागलपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक मंडल की बैठक में सृजन घोटाले में गये 48 करोड़ से अधिक के गबन पर चर्चा हो सकती है. नव निर्वाचित निदेशक मंडल के सामने को-ऑपरेटिव बैंक प्रशासन आगे की रणनीति तय करने का प्रस्ताव दे सकते हैं. इससे पूर्व को-ऑपरेटिव बैंक ने 15 जनवरी तक संबंधित गबन करनेवाले बैंक ऑफ बड़ौदा व इंडियन बैंक से राशि रिकवरी को लेकर नोटिस दिया था. रिकवरी नोटिस पर कोई जवाब नहीं आया.

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