निगम पड़ा टेंडर के फेर में, जहर पी रहे या अमृत, जांच होने तक करें इंतजार
भागलपुर : पानी जहरीला है या नहीं इसको लेकर शहर में संशय के बादल गहराये हुए हैं. लोगों के दिन की शुरुआत इसी चर्चा से हो रही है. यह मामला गंभीर भी है, पर दूसरी ओर निगम पानी की जांच को किस गंभीरता से ले रहा इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
January 30, 2018 5:13 AM
भागलपुर : पानी जहरीला है या नहीं इसको लेकर शहर में संशय के बादल गहराये हुए हैं. लोगों के दिन की शुरुआत इसी चर्चा से हो रही है. यह मामला गंभीर भी है, पर दूसरी ओर निगम पानी की जांच को किस गंभीरता से ले रहा इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने इस काम के लिए भी एजेंसी ढूढने का काम टेंडर से करने का निर्णय किया है.
सोमवार को विभागीय सूत्रों ने बताया कि निगम शीघ्र पानी की जांच को लेकर टेंडर की प्रक्रिया शुरू करने वाला है. सबको पता है टेंडर की प्रक्रिया और काम की गति, बावजूद इसके इसका कोई विरोध नहीं हुआ. 20 दिन पहले नगर निगम कार्यालय में पार्षदों के साथ मेयर, डिप्टी मेयर व नगर आयुक्त ने बैठक कर पीएचइडी एवं एक निजी एजेंसी से पानी जांच कराने का निर्णय लिया था. अब पानी जांच को लेकर निजी एजेंसी के बीच टेंडर निकालने की तैयारी चल रही है.
इस प्रकार चल रहा है जांच का खेल : जानकारी के अनुसार 2015 में हैदराबाद की कंपनी से तीन लाख रुपये खर्च करके पानी की जांच करायी गयी थी. उस समय भी पानी को पीने लायक नहीं बताया गया था. फिर पिछले वर्ष भी गंगा में जलस्तर घटने पर पानी की जांच कराने पर चर्चा हुई. इस बार भी पीएचइडी से पानी की जांच करायी गयी. इसमें पानी को जहरीला बताया गया. फिर पैन इंडिया की ओर से पटना की कंपनी ने पानी का सैंपल लिया था. फिर अब सरकार व पैन इंडिया की संयुक्त टीम की ओर से सैंपल लेकर भेजा गया. अब निगम की ओर से पीएचइडी और निजी एजेंसी से पानी जांच कराने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए टेंडर होगा.
सबको है जांच रिपोर्ट की प्रतिक्षा : पानी को लेकर कौन कितना गंभीर है इस टेंडर से संबंधित निर्णय को देखने से पता चलता है. अब पड़ताल के बाद ही पता चलेगा कि पानी जहरीला है या पीने योग्य. इससे पहले लोगों को सही जांच रिपोर्ट आने तक इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि जलापूर्ति करने वाली कंपनी पैन इंडिया इस बात को मान रही है, कि वाटर वर्क्स में साफ हुआ पानी पीने लायक नहीं है. वाटर वर्क्स में पानी साफ करने के लिए पर्याप्त तकनीक नहीं है. जब गंगा के मुख्य धार का पानी आता है, तभी पीने लायक पानी सप्लाइ होती है. अभी तो नाला व गंदा पानी को ही साफ किया जा रहा है.