कहलगांव : बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर सिंचाई परियोजना के उद्घाटन की तिथि 15 फरवरी पर रविवार को औपचारिक मुहर लग गयी. एसडीओ अरुणाभ चंद्र वर्मा के कार्यालय में रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में क्षेत्र के विधायक सदानंद सिंह और परियोजना के पदाधिकारियों ने इसकी पुष्टि की. बताया गया कि उद्घाटन के बाद एनटीपीसी स्थित आम्रपाली क्रीड़ा मैदान में मुख्यमंत्री की सभा होगी.
मुख्य मंत्री कहलगांव पहुंचने पर एनटीपीसी के मानसरोवर गेस्ट हाउस में विश्राम भी करेंगे. प्रेस वार्ता से पहले विधायक ने परियोजना के पदाधिकारियों के साथ स्टेज वन व टू का भी निरीक्षण किया. एनटीपीसी के अंडर पास स्थित ध्वस्त हुए नवनिर्मित मुख्य केनाल की गुणवत्ता भी देखी. मुख्य केनाल के साथ गुजरी सड़क के रास्ते एनटीपीसी की चाहरदीवारी स्थित मुख्य केनाल का भी निरीक्षण किया.
विधायक ने परियोजना के इंजीनियरों से कहा कि मुख्यमंत्री को गंदगी पसंद नहीं है, इसलिए साफ-सफाई करायी जाये. उन्होंने स्टेज टू से पूर्व व प्रखंड परिसर स्थित सड़क को पैचअप कराने का निर्देश दिया. विधायक व परियोजना के पदाधिकारियों ने दावा किया कि अब परियोजना उद्घाटन के लिए तैयार हो चुका है.
मौके पर जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख (सिंचाई) रामपुकार रंजन,अधीक्षण अभियंता (मॉनिटरिंग) संजय तिवारी, मुख्य अभियंता सिंचाई सृजन शैलेंद्र कुमार, मुख्य अभियंता (यांत्रिक) केएन लाल, अधीक्षण अभियंता ज्ञान प्रकाश लाल (सिविल), अधीक्षण अभियंता (यांत्रिक) लक्ष्मण झा, एसडीपीओ रामानंद कुमार कौशल भी उपस्थित थे.
24 घंटे पुलिस करे मुख्य केनाल की निगरानी : विधायक ने प्रेस वार्ता में एसडीओ अरुणाभ चंद्र वर्मा व एसडीपीओ रामानंद कुमार कौशल से कहा कि बिहार स्थित मुख्य केनाल की निगरानी स्थानीय पुलिस करे. एसडीओ ने कहा कि मुख्य केनाल की निगरानी के लिए फिलहाल एसडीआरएफ की टीम को लगाया गया है. परियोजना के अधिकारियों को पुलिस पेट्रोलिंग के लिए वाहन उपलब्ध कराने की बात भी विधायक ने कही.
दिखेगा हरित क्रांति का नजारा : सदानंद
विधायक सदानंद सिंह ने कहा कि यह मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है. वर्ष 1973 में जब पहली बार राज्य मंत्री बना था, तो उत्तर प्रदेश जा कर वहां की लघु सिंचाई परियोजना का अवलोकन किया. उसी वक्त मुझे यह लगा कि कहलगांव में भी खेतों के पटवन के लिए गंगा के पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए किया जा सकता है.
तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्रा के समय इसे स्वीकृति मिली. प्रारंभिक दौर से संसाधनों की कमी के कारण उतार-चढ़ाव होता रहा. मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के कार्यकाल के दौरान 2010 में काम में काफी तेजी आयी. बिहार में 75 छोटी बड़ी सिंचाई परियोजनाएं हैं, लेकिन इनमें से किसी से भी वर्ष भर पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है. चूंकि गंगा में वर्ष भर पानी उपलब्ध रहता है, इसलिए बटेश्वर गंगा परियोजना से सालों भर पटवन के लिए पानी मिलता रहेगा. इसके शुरू होने से क्षेत्र में हरित क्रांति का नजारा दिखेगा.
डीएम ने लिया तैयारियों का जायजा
डीएम आदेश तितरमारे ने रविवार को कहलगांव पहुंचकर जल संसाधन विभाग और स्थानीय अधिकारियों के साथ परियोजना क्षेत्र में विभिन्न स्थलों का जायजा लिया. उन्होंने वंशीपुर कुसापुर व हरचंदपुर इलाके तक जाकर केनाल की ताजा स्थिति को नजदीक से देखा.
इस दौरान परियोजना के पदाधिकारियों को कई दिशानिर्देश भी दिये. एनटीपीसी स्थित आम्रपाली के खेल मैदान में मुख्यमंत्री के सभा स्थल पर चल रही तैयारी के बारे में भी जानकारी ली. उन्होंने कहा कि पूर्व में जब सीएम आने वाले थे, तो शारदा पाठशाला के मैदान पर जो टेंट बनाया गया था, वैसा ही होना चाहिए. मौके पर अभियंता प्रमुख रामपुकार रंजन, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता शैलेंद्र कुमार, अधीक्षण अभियंता ज्ञान प्रकाश लाल, एसडीएम अरूणाभ चंद्र वर्मा, बीडीओ आरएल निगम मौजूद थे.
29.7 आरडी मुख्य केनाल तैयार, ब्रांच केनाल का काम जून तक
परियोजना के मुख्य अभियंता शैलेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार में शून्य से 148.70 आरडी मुख्य केनाल का निर्माण होना है. अभी शून्य से 47.1 आरडी मुख्य केनाल के निर्माण होना है. इसमें से करीब 29.7 आरडी का निर्माण हो चुका है. अरसे से बाधित वितरनी यानी ब्रांच केनाल कुशापुर, बंशीपुर व कासड़ी में मुआवजा संबंधित मामले का निबटारा हो गया है. इन जगहों पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. शेष बचे मुख्य केनाल सहित ब्रांच केनाल का कार्य हरहाल में जून तक पूरा कर लिया जायेगा. 24 घंटे निर्माण कार्य चल रहा है.
80 रुपये में ढाई एकड़ खेतों का होगा पटवन : प्रेस वार्ता में परियोजना के वरीय इंजीनियरों ने बताया कि उजून में रबी व खरीक फसल के समय किसानों को सिंचाई के लिये पानी मिलेगा. भूमि संबंधित मामलों का निबटारा कर लिया गया है. जून तक ब्रांच केनाल का भी निर्माण कर लिया जायेगा. ब्रांच केनाल निर्माण के बाद पानी किसानों के खेतों के नजदीक पहुंच जायेगा. किसानों को प्रति हेक्टेयर यानी करीब ढाई एकड़ जमीन के पटवन के लिए 80 रुपये अदा करने होंगे.