भागलपुर : …मैं हूं गंगा….सुनिये पक्षियों का कलरव देखिये डॉल्फिनों की अठखेलियां
धीरज भागलपुर : …मैं हूं गंगा. गर्भ में अकूत संसाधन. देश का इकलौता डॉल्फिन सेंचुरी. गंगा में सुबह से शाम तक करीब 150 डॉल्फिन की अठखेलियां. पावन तट पर दो दर्जन विदेशी समेत पचास से अधिक पक्षियों की प्रजातियों के कलरव धुन. गंगा के बीचोबीच छोटे-छोटे दर्जनों टापू के मनमोहक नजारे. साफ पानी. नीला आसमान. […]
धीरज
भागलपुर : …मैं हूं गंगा. गर्भ में अकूत संसाधन. देश का इकलौता डॉल्फिन सेंचुरी. गंगा में सुबह से शाम तक करीब 150 डॉल्फिन की अठखेलियां. पावन तट पर दो दर्जन विदेशी समेत पचास से अधिक पक्षियों की प्रजातियों के कलरव धुन. गंगा के बीचोबीच छोटे-छोटे दर्जनों टापू के मनमोहक नजारे. साफ पानी. नीला आसमान. मनोरम प्राकृतिक छटा. पक्षियों के साथ टापू पर कछुआ की मदमस्त चाल.
पर्यटकों को भी लुभायेगी गंगा. विक्रमशिला गांगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी को वन विभाग इको टूरिज्म के तौर पर विकसित करने वाला है. निफ्ट पटना का स्टूडेंट इसके लिए लोगो से लेकर वेबसाइट तैयार कर रहा है ताकि इसकी नेशनल ब्रांडिंग हो सके. चेन्नई से 17 लाख के नये नाव खरीदे गये हैं. भविष्य में वन विभाग इस पर सैलानियों को गंगा की सैर करायेगा. सुलतानगंज से कहलगांव तक 31 प्रहरी तैनात होंगे. इन्हें अगले माह उत्तराखंड में प्रशिक्षण दिया जायेगा.
अफसोस सुल्तानगंज से स्वच्छ और पावन गंगा भागलपुर आते ही गंदी होने लगती है. गंदा पानी और शहर का कचरा गंगा में फेंका जाता है. बरारी से सबौर तक गंगा में सांस लेना भी हो जाता है दूभर. अगुवानी पुल के निर्माण से विकास की अलख जगा रही गंगा कई जगह पर विनाशकारी रूप में भी दिखती है. गंगा करवट भी बदल रही है.
सुलतानगंज से भागलपुर तक उत्तर की ओर कटाव के कारण किसानों की हजारों एकड़ जमीन जल में समाहित हो गयी तो मवि दुधैला भी ध्वस्त हो गया. भागलपुर से सबौर की ओर दक्षिण की ओर कटाव है. इसकी चपेट में इंजीनियरिंग कॉलेज समेत कुछ अन्य शैक्षणिक संस्थान भी आ चुके हैं. विक्रमशिला पुल के पिलर में भी दरार पड़ चुका है. सुल्तानगंज से हमने सुबह छह बजे यात्रा शुरू की. सबौर तक 50 किमी गंगा का सफर तय करने में 13 घंटे लग गये.