बिहार : यहां दूल्हा-दुल्हन चुनने के लिए लगता है मेला….जानें
II संजीव II सैकड़ों जोड़े की शादियां तय करने का गवाह बन चुका है मारवाड़ी पाठशाला का मैदान भागलपुर : बेटियां बोझ नहीं, माता-पिता और समाज के लिए गुमान हैं. यही संदेश देता है मारवाड़ी पाठशाला के मैदान में हर साल लगनेवाला मेला. अभिभावक अपने बेटे-बेटियों के साथ इस मेले में आते हैं. एक-दूसरे परिवार […]
II संजीव II
सैकड़ों जोड़े की शादियां तय करने का गवाह बन चुका है मारवाड़ी पाठशाला का मैदान
भागलपुर : बेटियां बोझ नहीं, माता-पिता और समाज के लिए गुमान हैं. यही संदेश देता है मारवाड़ी पाठशाला के मैदान में हर साल लगनेवाला मेला. अभिभावक अपने बेटे-बेटियों के साथ इस मेले में आते हैं. एक-दूसरे परिवार से परिचित होते हैं.
कई परिवार इसलिए भी मेले में शामिल होते हैं कि वह या तो शादियां तय कराने में भागीदार बनेंगे या फिर मेले का लुत्फ लेते हुए कशौधन वैश्य समाज में स्नेह की भावना को प्रगाढ़ कर सकेंगे. शादियां तय कराने में गवाह बनते हैं कशौधन वैश्य पंचायत समिति के पदाधिकारी. कशौधन वैश्य पंचायत समिति द्वारा हर साल मारवाड़ी पाठशाला के मैदान में एक मेले का आयोजन किया जाता है.
मेला शाम में शुरू होता है और देर रात तक गीत-संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम का दौर चलता रहता है. रविवार को भी मेले का आयोजन किया गया. इसे नाम दिया गया है होली मिलन सह परिवार सम्मेलन. रविवार को लगे मेले में करीब आधा दर्जन जोड़े की शादी तय हुई.
पहले से पता नहीं, मेला बनता है जरिया
मेले में आने से पहले दूल्हा या दुल्हन को यह पता नहीं होता है कि वह किसे देखने या पसंद करने जा रहे हैं. अभिभावक भी अंजान होते हैं. मेले में आने के बाद समाज के लोग दो परिवारों के बीच मध्यस्थता करते हैं. दो परिवार को मिलाते हैं. दोनोंपरिवारों की रजामंदी हो गयी, तो वहीं शादी तय हो जाती है. इसके बाद वह अपने-अपने घर जाते हैं और तिथि तय कर शादी कराते हैं.
रविवार को लगे मेले में आधा दर्जन जोड़े की तय हुई शादियां
भागलपुर में 700 से अधिक कशौधन वैश्य परिवार
कशौधन वैश्य पंचायत समिति के अनुसार भागलपुर में 700 से अधिक कशौधन वैश्य परिवार हैं. इनकी आबादी तकरीबन पांच हजार के आसपास है. मेले में भागलपुर के कमोबेश सारे परिवार जुटते हैं. इनमें विवाह योग्य युवक-युवतियों को लेकर अभिभावक आते हैं.
बोले अध्यक्ष
कशौधन वैश्य पंचायत समिति के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि समाज में लड़कियों की संख्या घट रही है. इस कारण दहेज का प्रचलन समाप्त होने के कगार पर है. मेले में लोग गुणवान दूल्हे और गुणी दुल्हन के लिए भी आते हैं. इस कारण दहेज नहीं ही मान कर चलिए. यहां जो शादियां तय होती है, उन शादियों में समिति के पदाधिकारी शामिल होकर वर-वधू को आशीष का उपहार देते हैं. इस वर्ष करीब छह शादियां तय हुई हैं.