न बिल दिया, न सर्टिफिकेट लिया एजेंसियों पर किया करोड़ों खर्च

ऋषि भागलपुर : स्मार्ट सिटी की योजनाओं में वित्तीय गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है. स्मार्ट सिटी कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट में करीब 99 कामकाज में काम करवाने से लेकर खर्च की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा हुआ है. ऑडिट रिपोर्ट में मानक को ताक पर रखते हुए कामकाज व राशि का भुगतान किया गया. कार्य एजेंसियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2018 8:36 AM
ऋषि
भागलपुर : स्मार्ट सिटी की योजनाओं में वित्तीय गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है. स्मार्ट सिटी कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट में करीब 99 कामकाज में काम करवाने से लेकर खर्च की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा हुआ है. ऑडिट रिपोर्ट में मानक को ताक पर रखते हुए कामकाज व राशि का भुगतान किया गया.
कार्य एजेंसियों पर बगैर बिल करोड़ों रुपये खर्च हो गये. स्मार्ट सिटी कंपनी ने फर्म का प्रोफाइल व उनके संबंधित काम का सर्टिफिकेट भी नहीं लिया. जिसे मर्जी हुई, उससे काम करा लिया गया. यहां तक की, कामकाज के लिये आइपैड, टेबलेट आदि इलेक्ट्राॅनिक आइटम खरीदे गये, उसका कोई अता-पता नहीं है. स्मार्ट सिटी कंपनी का वित्त वर्ष 2017-18 का ऑडिट हुआ है. इस ऑडिट की वित्तीय गड़बड़ी को ठीक करने के लिये सीइओ सह नगर आयुक्त को भी लिखा गया है. हाल यह है कि स्मार्ट सिटी में एक भी बड़े काम सिरे नहीं चढ़े हैं. पीडीएमसी में भी बड़े प्रोजेक्ट को लेकर खाका तैयार नहीं हुआ. शुरू में ही वित्तीय गड़बड़ियां शुरू हो गयीं.
लेदर बैग : दाम से अधिक हुआ भुगतान
स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड ने लेदर बैग की खरीद की. खरीदते वक्त प्रत्येक बैग की कीमत 3050 रुपये रखी गयी, मगर प्रत्येक पर 3800 रुपये का भुगतान हुआ.
बगैर कंपनी प्राेफाइल व पैन कार्ड के दे दिये गये टेंडर
योजना दिये गये टेंडर
ई ट्रैफिक सिस्टम 382375 रुपये
ट्रैफिक ट्रॉली साइनेज 275600 रुपये
फाउंटेन ग्रिप हेइवे 434600 रुपये
ट्रांसपोर्ट सिस्टम इलेक्ट्राॅनिक सिस्टम पोल 178250 रुपये
इलेक्ट्रानिक ट्रैफिक सिस्टम पोल 323587 रुपये
इनवर्टर बैटरी अंडरग्राउंड वायर 448213 रुपये
बायो टॉयलेट : बगैर बिल के हो गया भुगतान
स्मार्ट सिटी में सबसे पहले बायो टॉयलेट बने थे. इस बायो टॉयलेट पर 18 लाख 57 हजार 900 रुपये खर्च हुए, लेकिन इस भुगतान के बदले कोई बिल नहीं लिया गया. फर्म का प्रोफाइल व उसके पैन कार्ड भी नहीं जमा कराये गये.

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